बालक का समाधान - अमृत माँ जिनवाणी से - ४८
? अमृत माँ जिनवाणी से - ४८ ?
"बालक का समाधान"
आचार्यश्री शान्तिसागरजी महाराज सन् १९५३ में बारसी में विराजमान थे।
उत्तर भारत का एक बालक अपने कुटुम्बियों के साथ गुरुदेव के दर्शन को आया। वह बच्चा लगभग चार वर्ष का था। दर्शन के पूर्व कभी उसने महाराज के साँपयुक्त चित्र देखा था।
इससे वह महाराज से बोला- "तुम्हारा साँप कहाँ है?"
महाराज बच्चे के आश्रय को समझ गए। वे मुस्कराते हुए बोले, "वह साँप अब यहाँ नहीं है। वह तो चला गया।"
? स्वाध्याय चारित्र चक्रवर्ती ग्रंथ का ?
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