अन्य साधुओं तथा जनता पर अपूर्व प्रभाव - अमृत माँ जिनवाणी से - ३६
? अमृत माँ जिनवाणी से - ३६ ?
"अन्य साधुओ व जनता पर अपूर्व प्रभाव"
अन्य सम्प्रदाय के बड़े-२ साधू और मठाधीश आचार्यश्री शान्तिसागरजी महाराज के चरित्र और तपस्या के वैभव के आगे सदा झुकते रहे हैं।
एक बार जब महाराज हुबली पधारे, उस समय लिंगायत सम्प्रदाय के श्रेष्ठ आचार्य सिद्धारूढ़ स्वामी ने इनके दर्शन किए और इनके भक्त बन गए। उन्होंने अपने शिष्यो से कहा था कि जीवन में ऐसे महापुरुष को अपना गुरु बनाना चाहिए।
एक समय कोल्हापुर के समीपवर्ती इस्लामपुर में मुस्लिम अधिकारी ने महाराज के आम सड़क के विषय मे आपत्ति उपस्थित की थी।
क्षणभर में आस-पास के ग्रामो में यह समाचार पहुँच गया कि इस्लामपुर के मुस्लिम आचार्य महाराज के प्रति दुष्ट व्यवहार करना चाहते हैं।
थोड़े समय में दस हजार से अधिक ग्रामीण जैनी चारो ओर से लाठी आदि लेकर आ गए।उस समय वह इस्लामपुर जैनपुर सा दिखता था।
मुस्लिम लोग अपने घरो में घुस गए। उन्हें अपनी जान बचाना कठिन हो गया। तत्काल मुस्लिम अधिकारी ने अपना नादिरशाही आर्डर को वापिस लिया।
आचार्य शान्तिसागरजी की जय जयकार करते हुए उस स्थान से विहार हुआ। महाराज का पुण्य प्रताप ऐसा है कि बड़ी से बड़ी विपत्ति शीघ्र ही दूर होकर गौरव को वृध्दि करने वाली बन जाती थी।
? स्वाध्याय चारित्र चक्रवर्ती ग्रंथ का ?
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