बाहुबली स्वामी के बारे में अलौकिक दृष्टि - अमृत माँ जिनवाणी से - १२
? अमृत माँ जिनवाणी से - १२ ?
"बाहुबलीस्वामी के विषय मे आलौकिक दृष्टी"
जब हमने आचार्यश्री शान्तिसागरजी महाराज से पुछा- "महाराज गोमटेश्वर की मूर्ति का आपने दर्शन किया है उस सम्बन्ध मे आपके अंतरंग मे उत्पन्न उज्ज्वल भावो को जानने की बड़ी इच्छा है।"
उस समय महाराज ने उत्तर दिया था उसे सुनकर हम चकित हो गये।
उन्होंने कहा था- "बाहुबली स्वामी की मूर्ति बड़ी है। यह जिनबिम्ब हमे अन्य मूर्तियो के समान ही लगी। हम तो जिनेन्द्र के गुणों का चिंतवन करते हैं, इसीलिए बड़ी मूर्ति और छोटी मूर्ति मे क्या भेद है?"
इससे आचार्य महाराज की मार्मिक दृष्टि का स्पष्ट बोध होता है। प्रत्येक बात मे आचार्य महाराज की लोकोत्तरता मिलती है।
? स्वाध्याय चारित्र चक्रवर्ती ग्रंथ का ?
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