द्रोणगिरी क्षेत्र में शेर का आना - अमृत माँ जिनवाणी से - १३
? अमृत माँ जिनवाणी से -१३ ?
"द्रोणागिरी क्षेत्र में सिंह का आना"
सन १९२८ मे वैसाख सुदी एकम को आचार्य शान्तिसागर महाराज का संघ द्रोणागिरी सिद्ध क्षेत्र पहुँचा।हजारो भाइयो ने दूर-२ से आकर दर्शन का लाभ लिया।
महाराज पर्वत पर जाकर जिनालय मे ध्यान करते थे। उनका रात्रि का निवास पर्वत पर होता था। प्रभात होते ही लगभग आठ बजे महाराज पर्वत से उतरकर नीचे आ जाते थे।
एक दिन की बात है कि महाराज समय पर ना आये। सोचा गया संभवतः वे ध्यान मे मग्न होंगे। दर्शनार्थियों की भावना प्रबल हो चली। साढ़े आठ, नौ, साढ़े नौ और भी समय व्यतीत हो रहा था। जब विलंब असह हो गया, तब कुछ लोग पहाड़ पर गये। उसी समय महाराज वहाँ से नीचे उतर रहे थे।
लोगो ने महाराज का जयघोष किया। चरणों मे प्रणाम किया और पूंछा 'स्वामिन् ! आज तो बड़ा विलंब हो गया, क्या बात हो गयी?' वे चुप रहे। कुछ उत्तर नहीं दिया।
लोगो ने पुनः प्रार्थना की। एक बोला- 'महाराज, यहाँ शेर आ जाया करता है। कहीं शेर तो नहीं आ गया था?' अंत मे स्वामीजी का मौन खुल ही पड़ा और उन्होंने बताया कि 'संध्या से ही एक शेर पास मे आ गया। वह रात भर बैठा रहा। अभी थोड़ी देर हुई वह हमारे पास से उठकर चला गया।'
प्रतीत होता है वनपति, यतिपति के दर्शनार्थ आया था।
? स्वाध्याय चारित्र चक्रवर्ती ग्रंथ का ?
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