शास्त्र पठन में मेरे द्वारा,जो कुछ कहीं-कहीं ।
प्रमाद से कुछ अर्थ वाक्य पद मात्रा छूट गई।।१।।
सरस्वती मेरी उस त्रुटि को कृपया क्षमा करें ।
और मुझे कैवल्य धाम में मां अविलंब धरें ।।२।।
वांछित फलदात्री चिंतामणि सादृश्य मात्र तेरा ।
वन्दन करने वाले मुझको मिले पता मेरा ।।३।।
बोधि समाधि विशुद्ध भावना आत्म सिद्धि मुझको ।
मिले और मैं पा जाऊं मां मोक्ष महा सुख को ।।४।।