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JainSamaj.World

जिनवाणी स्तुति


शास्त्र पठन में मेरे द्वारा,जो कुछ कहीं-कहीं ।

प्रमाद से कुछ अर्थ वाक्य पद मात्रा छूट गई।।१।‌।

सरस्वती मेरी उस त्रुटि को कृपया क्षमा करें ।

और मुझे कैवल्य धाम में मां अविलंब धरें ।।२।।

वांछित फलदात्री चिंतामणि सादृश्य मात्र तेरा ।

वन्दन करने वाले मुझको मिले पता मेरा ।।३।।

बोधि समाधि विशुद्ध भावना आत्म सिद्धि मुझको ।

मिले और मैं पा जाऊं मां मोक्ष महा सुख को ।।४।।



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