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दस लक्षण पर्व ऑनलाइन महोत्सव
शांति पथ प्रदर्शन (जिनेंद्र वर्णी)
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*☝️जैन धर्म के मुख्य प्राचीन ग्रंथ ( मुख्य मूल शास्त्र ) 2000 वर्ष पूर्व से लेकर 100 वर्ष पूर्व तक के प्रमुख जैन ग्रंथाधिराज और उनके रचयिता* 📖
1. षट्खंडागम - आचार्य पुष्पदंतजी, आचार्य भूतबलिजी
2. समयसार - आचार्य कुंदकुंदजी
3. नियमसार - आचार्य कुंदकुंदजी
4. प्रवचनसार - आचार्य कुंदकुंदजी
5. अष्टपाहुड़ - आचार्य कुंदकुंदजी
6. पंचास्तिकाय - आचार्य कुंदकुंदजी
7. रयणसार - आचार्य कुंदकुंदजी
8. दश भक्ति - आचार्य कुंदकुंदजी9. वारसाणुवेक्खा - आचार्य कुंदकुंद
10. तत्त्वार्थसूत्र - आचार्य उमास्वामीजी
11. आप्तमीमांसा - आचार्य समन्तभद्रजी
12. स्वयंभू स्तोत्र - आचार्य समन्तभद्रजी
13. रत्नकरण्ड श्रावकाचार - आचार्य समन्तभद्रजी
14. स्तुति विद्या - आचार्य समन्तभद्रजी
15. युक्त्यनुशासन - आचार्य समन्तभद्रजी
16. तत्त्वसार - आचार्य देवसेनजी
17. आराधना सार - आचार्य देवसेनजी
18. आलाप पद्धति - आचार्य देवसेनजी
19. दर्शनसार - आचार्य देवसेनजी
20. भावसंग्रह - आचार्य देवसेनजी
21. लघु नयचक्र - आचार्य देवसेनजी
22. इष्टोपदेश - आचार्य पूज्यपादजी (देवनन्दी)
23. समाधितंत्र - आचार्य पूज्यपादजी (देवनन्दी)
24. सर्वार्थसिद्धि - आचार्य पूज्यपादजी (देवनन्दी)
25. वैद्यक शास्त्र - आचार्य पूज्यपादजी (देवनन्दी)
26. सिद्धिप्रिय स्तोत्र - आचार्य पूज्यपाद जी (देवनन्दी)
27. जैनेन्द्र व्याकरण - आचार्य पूज्यपाद जी (देवनन्दी)
28. परमात्म प्रकाश - आचार्य योगीन्दु देवजी
29. योगसार - आचार्य योगीन्दु देवजी
30. नौकार श्रावकाचार - आचार्य योगीन्दु देवजी
31. तत्त्वार्थ टीका - आचार्य योगीन्दु देवजी
32. अमृताशीति - आचार्य योगीन्दु देव
33. सुभाषित तंत्र - आचार्य योगीन्दु देवजी
34. अध्यात्म संदोह - आचार्य योगीन्दु देवजी
35. सन्मति सूत्र - आचार्य सिद्धसेन दिवाकरजी
36. कल्याण मंदिर - आचार्य सिद्धसेन दिवाकरजी
37. अष्टशती - आचार्य अकलंकदेवजी
38. लघीयस्त्रय - आचार्य अकलंकदेवजी
39. न्यायविनिश्चय सवृत्ति - आचार्य अकलंकदेवजी
40. सिद्धिविनिश्चय सवृत्ति - आचार्य अकलंकदेवजी
41. प्रमाण संग्रह सवृत्ति - आचार्य अकलंकदेवजी
42. तत्त्वार्थ राजवार्तिक - आचार्य अकलंकदेवजी
43. हरिवंश पुराण - आचार्य जिनसेनजी (प्रथम)
44. आदिपुराण - आचार्य जिनसेनजी
45. उत्तरपुराण - आचार्य गुणभद्रजी
46. आत्मानुशासन - आचार्य गुणभद्रजी
47. अष्टसहस्री - आचार्य विद्यानंदजी
48. श्लोक वार्तिक - आचार्य विद्यानंदजी
49. आप्तपरीक्षा - आचार्य विद्यानंदजी
50. प्रमाणपरीक्षा - आचार्य विद्यानंदजी
51. पत्र परीक्षा - आचार्य विद्यानंदजी
52. क्षत्रचूड़ामणि -- आचार्य वादीभसिंह सूरिजी
53. गद्यचिंतामणि -- आचार्य वादीभसिंह सूरिजी
54. कार्तिकेयानुप्रेक्षा -- आचार्य कार्तिकेय स्वामीजी
55. तत्वार्थसार -- आचार्य अमृतचंदजी
56. पुरुषार्थसिद्धिउपाय -- आचार्यअमृतचंद्रजी
57. आत्मख्याति टीका -- आचार्य अमृतचंद्रजी
58. लघुतत्त्वस्फोट -- आचार्य अमृतचंद्रजी
59. तत्त्वप्रदीपिका टीका -- आचार्य अमृतचंद्रजी
60. वरांग चरित्र - श्री जटासिंह नन्दिजी
61. चन्द्रप्रभ चरित्र -- आचार्य वीरनन्दीजी
62. कषाय पाहुड -- आचार्य गुणधरजी
63. गोम्मटसार -- आचार्य नेमिचन्द्र सिद्धांत चक्रवर्तीजी
64. पाषणाहचरिउ -- मुनि पद्मकीर्तिजी
65. त्रिलोकसार -- आचार्य नेमिचन्द्र सिद्धांत चक्रवर्तीजी
66. लब्धिसार -- आचार्य नेमिचन्द्र सिद्धांत चक्रवर्तीजी
67. क्षपणासार -- आचार्य नेमिचन्द्र सिद्धांत चक्रवर्तीजी
68. तिलोयपण्णत्ति -- आचार्य यतिवृषभजी
69. जम्बूद्वीप पण्णत्ति - आचार्य यतिवृषभजी
70. धवला टीका - आचार्य वीरसेनजी
71. यशस्तिलक चंपू -- आचार्य सोमदेवजी
72. नीतिवाक्यामृत -- आचार्य सोमदेवजी
73. अध्यात्मतरंगिणी -- आचार्य सोमदेवजी
74. सिद्धिविनिश्चय टीका -- बृहद् अनंतवीर्यजी
75. प्रमाणसंग्रहभाष्य -- बृहद् अनंतवीर्य जी
76. शाकटायन शब्दानुशासन -- आचार्य शाकटायनजी
77. केवली भुक्ति -- आचार्य शाकटायनजी
78. लघु द्रव्य संग्रह -- आचार्य नेमिचन्द्रजी
79. वृहद् द्रव्य संग्रह -- आचार्य नेमिचन्द्रजी
80. प्रमेय-कमल-मार्तण्ड -- आचार्य प्रभाचंद्रजी
81. न्याय कुमुदचन्द्र -- आचार्य प्रभाचंद्रजी
82. तत्वार्थ-वृत्तिपद-विवरण -- आचार्य प्रभाचंद्रजी
83. शाकटायन-न्यास -- आचार्य प्रभाचंद्रजी
84. शब्दाम्भोज भास्कर -- आचार्य प्रभाचंद्रजी
85. गद्यकथाकोष -- आचार्य प्रभाचंद्रजी
86. प्रद्युम्नचरित्र -- आचार्य महासेनजी
87. भक्तामर स्तोत्र -- आचार्य मानतुंगजी
88. पद्मनंदी पंचविंशतिका - आचार्य पद्मनंदी जी (द्वितीय)
89. मूलाचार - आचार्य वट्टकेर स्वामीजी
90. ज्ञानार्णव - शुभचन्द्राचार्य जी
91. भगवती आराधना - आचार्य शिवार्य जी(शिवकोटिजी)
92. अमितगति श्रावकाचार - आचार्य अमितगतिजी
93. धर्म परीक्षा - आचार्य अमितगतिजी
94. सुभाषित रत्न संदोह - आचार्य अमितगतिजी
95. तत्त्व भावना - आचार्य अमितगति
96. पंच संग्रह - आचार्य अमितगतिजी
97. भावना द्वात्रिंशतिका - आचार्य अमितगतिजी
98. नियमसार टीका -- आचार्य पद्मप्रभमलधारिदेवजी
99. पार्श्वनाथ स्तोत्र -- आचार्य पद्मप्रभमलधारिदेवजी
100. धर्मामृत - आचार्य नयसेन जी
101. समयसारतात्पर्यवृत्तिटीका -- आचार्य जयसेन जी(द्वितीय)
102. नियमसारतात्पर्यवृत्तिटीका -- आचार्य जयसेन जी(द्वितीय)
103. पंचास्तिकायतात्पर्यवृत्तिटीका -- आचार्य जयसेन (द्वितीय)
104. तत्त्वानुशासन -- आचार्य रामसेन जी
105. प्रमेयरत्नमाला -- आचार्य लघु अनंतवीर्य जी
106. सिद्धांतसार संग्रह -- आचार्य नरेंद्रसेन जी
107. परीक्षामुख - आचार्य माणिक्यनंदी जी
108. न्यायदीपिका - आचार्य धर्मभूषण यति जी
109. द्रव्य प्रकाशक नयचक्र - आचार्य माइल्ल धवल जी
110. पद्मपुराण - आचार्य रविषेण जी
111. मूलाचार - आचार्य वट्टकेर स्वामी जी
112. गणितसार संग्रह -- आचार्य महावीर जी
113. श्रीपाल चरित्र - आचार्य सकलकीर्ति जी
114. शांतिनाथ चरित्र - आचार्य सकलकीर्ति जी
115. वर्धमान चरित्र - आचार्य सकलकीर्ति जी
116. मल्लिनाथ चरित्र - आचार्य सकलकीर्ति जी
117. यशोधर चरित्र - आचार्य सकलकीर्ति जी
118. धन्यकुमार चरित्र - आचार्य सकलकीर्ति जी
119. सुकमाल चरित्र - आचार्य सकलकीर्ति जी
120. सुदर्शन चरित्र - आचार्य सकलकीर्ति जी
121. जम्बूस्वामी चरित्र - आचार्य सकलकीर्ति जी
122. मूलाचार प्रदीप - आचार्य सकलकीर्ति जी
123. पार्श्वनाथ पुराण - आचार्य सकलकीर्ति जी
124. सिद्धांतसार दीपक - आचार्य सकलकीर्ति जी
125. तत्त्वार्थसार दीपक - आचार्य सकलकीर्ति जी
126. आगमसार - आचार्य सकलकीर्ति जी
127. मेरु मन्दर पुराण - श्री वामन मुनि जी
128. प्रमाण ग्रंथ - आचार्य वज्रनन्दि
129. चौबीसी पुराण - आचार्य शुभचन्द्रजी
130. श्रेणिक चरित्र - आचार्य शुभचन्द्रजी
131. श्री पांडव पुराण - आचार्य शुभचन्द्रजी
132. श्री श्रेणिक चरित्र - आचार्य शुभचन्द्रजी
133. चन्द्रप्रभ चरित्र - आचार्य शुभचन्द्रजी
134. करकण्डु चरित्र - आचार्य शुभचन्द्रजी
135. चन्दना चरित्र - आचार्य शुभचन्द्रजी
136. जीवंधर चरित्र - आचार्य शुभचन्द्रजी
137. अध्यात्मतरंगिणी - आचार्य शुभचन्द्रजी
138. प्राकृत लक्षण - आचार्य शुभचन्द्रजी
139. गणितसार संग्रह - आचार्य श्रीधरजी
140. त्रिलोकसारटीका - आचार्य माधवचन्दजी
141. योगसार प्राभृत - आचार्य अमितगतिजी142. बृहत्कथाकोश - आचार्य हरिषेणजी
143. आराधनासार - आचार्य रविभद्रजी
144. आचारसार - आचार्य वीरनन्दी जी
145. वर्धमान चरित्र - आचार्य असग जी
146. सुदंसण चरिउ - आचार्य नयनन्दि जी
147. एकीभाव स्तोत्र - आचार्य वादिराज जी
148. पुराणसार संग्रह - आचार्य श्रीचन्द जी
149. वसुनन्दी श्रावकाचार - आचार्य वसुनन्दी जी
150. भावना पद्धति - आचार्य पद्मनन्दि जी
151. अनगार धर्मामृत - पंडित आशाधर जी
152. सागार धर्मामृत - पंडित आशाधर जी
153. भरतेश वैभव - महाकवि रत्नाकर जी
154. समयसार नाटक - पण्डित बनारसीदास जी
155. ब्रह्म विलास - भैया भगवतीदास जी
156. छहढाला - पंडित द्यानतराय जी
157. क्रिया कोश - पंडित दौलतरामजी (प्रथम)
158. भाव दीपिका - पंडित दीपचन्द जी
159. चिद विलास - पंडित दीपचन्द जी
160. पार्श्व पुराण - पंडित भूधरदास जी
161. जिन शतक - पंडित भूधरदास जी
162. मोक्षमार्ग प्रकाशक - पंडित टोडरमल जी
163. गोम्मटसार टीका - पंडित टोडरमल जी
164. लब्धिसार टीका - पंडित टोडरमल जी
165. क्षपणासार टीका - पंडित टोडरमल जी
166. त्रिलोकसार टीका - पंडित टोडरमल जी
168. पुरुषार्थसिद्धिउपाय टीका - पंडित टोडरमल जी
169-जैन सिद्धांत प्रवेशिका - पं गोपालदासजी बरैया
170. छहढाला - पं. दौलतरामजी (द्वितीय)
171. रत्नकरंड वचनिका - पं. सदासुखदास जी
172. समयसार वचनिका - पं. जयचन्द छावड़ा जी
173. छहढाला - पंडित बुधजन जी
174. महावीराष्टक स्तोत्र - पंडित भागचन्द जी
175. जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश - क्षुल्लक जिनेन्द्र वर्णी जी
🙏🙏🙏🙏 -
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🌴🌴आज देवाधिदेव 1008 श्री शीतलनाथ भगवान🌳🌳🌳🌳 के ज्ञान कल्याणक💥🔥 एवं अंग्रेजी नववर्ष 2022 की आप सभी को बहुत-बहुत बधाइयां एवं शुभकामनाएं जय जिनेंद्र, सबसे क्षमा, जय जिनेंद्र।🙏🙏🙏
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आप सभी को www.Vidyasagar.guru वेबसाइट की तरफ से दिवाली एवं नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं |
इस त्योहारी माहोल में आपके मन में उत्साह और उमंग देखते ही बनता हैं | आशा करते हैं, यह नव वर्ष आपके जीवन पथ के संकल्पों को शक्ति प्रदान करेगा , लक्ष्यों की पूर्ती कराएगा अथवा करने में प्रोत्साहन देगा |
इस वेबसाइट के प्रति आपके विश्वास के लिए आप सभी को ह्रदय से साभार (धन्यवाद) |
एक निवेदन - दीपावली हमारा त्यौहार है इस त्यौहार को हैप्पी दीपावली ना बोलकर महोत्सव के नाम से मनाएं या कहें भगवान के निर्वाण कल्याण महोत्सव की सभी को बहुत-बहुत बधाई हो क्योंकि हम जैन है और इस दिन हमारे अंतिम शासन नायक श्री महावीर स्वामी को मोक्ष की प्राप्ति एवं श्री इंद्रभूति गौतम गणधर को केवल ज्ञान की प्राप्ति इस दिन हुई थी इसलिए हमें हैप्पी दिवाली ना कहकर निर्वाण महोत्सव की बधाई देनी चाहिए आप सभी से निवेदन है कि आप अपने संबंधी रिश्तेदारों से वीर निर्वाण महोत्सव की बधाई कहेंगे
भगवान महावीर के निर्वाण कल्याण महोत्सव की सभी को बहुत-बहुत बधाई |
जय जिनेंद्र
आप सभी अपने सन्देश नीचे यही पर लिखे |
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ज्ञान से मिलता भव का किनारा, ज्ञान बिना न कोई सहारा ।
मतिज्ञान के भेद बताओ, केवलज्ञानी तुम बन जाओ ॥
- आपके द्वारा दिया गया उत्तर किसी को भी नहीं दिखेगा
- सभी उत्तर एक साथ खोले जाएंगे
- आपकी रचनात्मकता शैली इस प्रयोग को सफल बनाएगी
- आपका स्वाध्याय - आज आपका उपहार
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प्रतियोगिता के लिए अब आने वाली entries मान्य नहीं होगी
आप अहिंसा पर अभी भी लिख सकते हीं
प्रतियोगिता समाप्त
अहिंसा संगोष्ठी मे आप अभी भी लिख सकते हैं
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नियम / दिशा निर्देश
- आपको अहिंसा पर आधारित एक वाक्य अथवा कुछ पंक्तियां लिखनी है |
- वाक्य ऐसा होना चाहिए जो अभी तक किसी और ने ना लिखा हो |
- सामूहिक प्रस्तुतीकरण का हो प्रयास - अहिंसा का कोई विषय अछूता ना रहे|
- आपकी रचनात्मकता शैली इस प्रयोग को सफल बनाएगी
- आपकी पंक्ति / पंक्तियों के अंत मे अहिंसा परमो धर्म की जय लिख सकते हैं |
- चित्र भी साथ मे संलग्न कर सकते हैं ( जैसे परीक्षा मे उत्तर देते हुए Diagram भी बनाते हैं)
- आप अंग्रेजी, मराठी अन्य भाषा में भी लिख सकते हैं
- आप को पूरा निबंध नहीं लिखना हैं सिर्फ - कुछ पंक्तियाँ लिखनी हैं
- आपके वाक्य को दो बार ना लिखे - एडिट क्लिक कर सुधार कर सकते हैं
3 october 21 रात्री दस बजे तक भाग लेने वालो मे*
तीन प्रतिभागियों का चयन लक्की ड्रॉ द्वारा उपहार के लिए किया जाएगा
उनके वाक्यों पर 5 पसंद Like होना अनिवार्यकरे शुरुआत
अहिंसा जैनाचार का प्राण तत्व हैं - इसे ही परम ब्रह्म और परम धर्म कहा गया हैं |
अहिंसा परमो धर्म की जय
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☀️ भगवान पार्श्वनाथ मोक्ष कल्याणक व अष्टमी पर्व☀️
जय जिनेन्द्र बन्धुओं....🙏
आज १५ अगस्त, दिन रविवार, श्रावण शुक्ल सप्तमी शुभ तिथि को २३ वें तीर्थंकर देवादिदेव श्री १००८ पार्श्वनाथ भगवान का मोक्ष कल्याणक पर्व तथा एक ही दिन सप्तमी व अष्टमी दो तिथि एक साथ होने के कारण अष्टमी पर्व भी है-
🙏🏻
पार्श्वनाथ भगवान जन-जन के इष्ट भगवान हैं। सभी जिनालयों में पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा रहती ही हैं। श्रावक सबसे ज्यादा स्मरण पार्श्वनाथ भगवान को ही करते हैं अतः भगवान पार्श्वनाथ का मोक्ष कल्याणक पर्व (मोक्ष सप्तमी पर्व) भी बड़े ही उत्साह व श्रद्धा भक्ति के साथ मनाया जाता है-🙏🏻
आज पार्श्वनाथ भगवान की पूजन अत्यंत भक्ति-भाव कर भगवान का मोक्ष कल्याणक पर्व मनाएँ। इस वर्ष शास्वत भूमि सम्मेदशिखर जी जाना संभव नहीं है अतः यही से स्वर्णभद्र कूट का स्मरण कर भगवान को निर्वाण लाडू समर्पित करें।
🙏🏻 पार्श्वनाथ भगवान की जय🙏🏻
🙏🏻 मोक्ष कल्याणक पर्व की जय🙏🏻
🙏🏻 तीर्थराज सम्मेदशिखर जी की जय🙏🏻
🙏🙏
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सप्त व्यसन है महा दुखदाई, किया है जिसने दुर्गति पाई ।
नाम कौन है हमें बताता, इनसे बचता वो सुख पाता ॥
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नाभिराय के पुत्र कहाय, तीर्थंकर का पद है पाय।
कब और कहाँ से मोक्ष है पाया, सही-सही बतलाओ भाया॥
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देवाधिदेव 1008 श्री शांतिनाथ भगवान के जन्म, तप, एवं मोक्ष कल्याणक की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🙏🙏
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🔔 आओ करे पुण्य कार्य 🔔
📕 लॉकर खोले 📕
एक ताले की दो चाबीआज आपको तीसरे प्रश्न का उत्तर देने के लिए पहले दो प्रश्नों का जवाब देना होगा
🛕🛕🛕🛕🛕🛕🛕🛕
उदाहरण-
दिशा को कहते है--दिक
वस्त्र का पर्यायवाची--अम्बर
हम जिस पंथ के अनुयायी है वह है --दिगम्बर
1️⃣ किसी बात की अधिकता को कहते है------
कषाय होती है------
व्रत में दोष लगना कहलाता है------
🅰️2️⃣ शरीर का पर्यावाची---
त्याग करना को कहते है----
पूजन,पाठ के अंत मे करते है----
🅰️3️⃣ मल रहित अर्थात----
आवागमन के साधन को कहते है-----
एक कुलकर का नाम-----
🅰️4️⃣ हार का विलोम---
मित्र का विलोम-----
एक रूद्र का नाम-----
🅰️5️⃣ बैल का पर्यायवाची----
सखा का पर्यायवाची-----
एक बलदेव का नाम------
🅰️6️⃣ नारी का विलोम----
मुँह का तत्सम रूप-----
एक नारद का नाम------
🅰️7️⃣ एक द्वीप का नाम---
प्रभु का पर्यायवाची----
एक कामदेव का नाम----
🅰️8️⃣ नर का पर्यायवाची----
श्रेष्ठ का अर्थ है-----
एक नारायण का नाम-----
🅰️9️⃣ उपवन में खिलते है----
दाँत का तत्सम रूप----
एक आचार्य का नाम-----
🅰️1️⃣0️⃣ कठोर,सख्त अर्थात----
सजा को कहते है----
एक तीर्थंकर का चिन्ह---
🅰️1️⃣1️⃣ ऊर्जा का एक स्त्रोत्र---
राज दरबार मे शीर्ष सिहासन पर विराजित होता है-----
एक तीर्थंकर के पिता-----
🅰️1️⃣2️⃣ मूर्ति या प्रतिमा को कहते है----
भवन का पर्यायवाची----
मन्दिरजी जिसका शिखर नही होता है वह कहलाता है------
🅰️सभी प्रयास करे।
पुरुषार्थ से ही पुण्य बढेगा
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
सभी की उत्तर कुछ समय के लिए छुपे रहेंगे
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अनलाइन खेलने के लिए इस लिंक को क्लिक करे
https://kahoot.it/challenge/0995914?challenge-id=2fab5bbb-3e15-4fa4-9d2b-2ffecd181adf_1621580223135
24 मई तक इस खेल को खेला जा सकत हैं
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☀️ आज गर्भ व मोक्ष कल्याणक पर्व☀️
जय जिनेन्द्र बंधुओं,
आज १८ मई, दिन मंगलवार, वैशाख शुक्ल षष्ठी शुभ तिथि को चतुर्थ तीर्थंकर देवादिदेव श्री १००८ अभिनंदननाथ भगवान का गर्भ व मोक्ष कल्याणक पर्व है।
🙏🏻 अभिनंदननाथ भगवान की जय🙏🏻
🙏🏻 गर्भ कल्याणक पर्व की जय🙏🏻
🙏🏻 मोक्ष कल्याणक पर्व की जय🙏🏻 -
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श्री 1008 भगवान महावीर स्वामी के जन्म कल्यणक महोत्सव की आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें ।
प्रभु से प्रार्थना हे आप सभी स्वस्थ व सुरक्षित रहें 🙏 -
वीर प्रभु ने जन्म है पाया, भव्यों का है भाग्य जगाया। ।
दादा-दादी का नाम बताओ, महावीर सम सब बन जाओ॥
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🙏🙏🙏आज देवाधिदेव 1008 सुमति नाथ भगवान का जन्म तप और मोक्ष कल्याणक है। आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं🙏🙏🙏🙏🙏
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*आज देवाधिदेव 1008 श्री संभवनाथ भगवान का मोक्ष कल्याणक महा महोत्सव है, सभी को मंगलमयी बधाई व ढेरो शुभकामनाएं भगवान के सिद्धशिला में जाने की, आप भी एक दिन लोक के अग्रभाग में जाकर विराजमान हो ,प्रभु से यही प्रार्थना करते है🚩🎈🎊🎉🙏*
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🌤आज अष्टमी व गर्भ कल्याणक पर्व है🌤
In Greetings
Posted
जय जिनेन्द्र बंधुओं,
आज २५ मार्च, दिन शुक्रवार को चैत्र कृष्ण अष्टमी शुभ तिथि को १० वें तीर्थंकर देवादिदेव श्री १००८ शीतलनाथ भगवान का गर्भ कल्याणक पर्व अर्थात अष्टमी पर्व है।
🙏🏻
अष्टमी/चतुर्दशी तथा अष्टान्हिका आदि शास्वत पर्व हैं। इन दिनों में पाप कार्यो से बचने हेतु धारण किया संयम विशेष फलदायी होता है। इन दिनों में की गई भगवान की भक्ति,पूजन तथा व्रत आदि विशेष महत्व के होते हैं।
🙏🏻
प्रतिदिन जिनेन्द्र प्रभु के दर्शन करना अपना मनुष्य जीवन मिलना सार्थक करना है अतः प्रतिदिन देवदर्शन करना चाहिए। जो लोग प्रतिदिन देवदर्शन नहीं कर पाते उनको कम से कम अष्टमी/चतुर्दशी आदि पर्व के दिनों में देवदर्शन अवश्य करना चाहिए।
🙏🏻
जो लोग प्रतिदिन देवदर्शन करते हैं उनको अष्टमी/चतुर्दशी आदि पर्व के दिनों में श्रीजी के अभिषेक व पूजन आदि के माध्यम से अपने जीवन को धन्य करना चाहिए।
🙏🏻
जमीकंद का उपयोग घोर हिंसा का कारण है अतः इनका सेवन नहीं करना चाहिए। जो लोग इनका उपयोग करते हैं उनको पर्व के इन दोनों में इनका त्याग करके सुख की ओर आगे बढ़ना चाहिए।
🙏🏻
इस दिन रागादि भावों को कम करके ब्रह्मचर्य के साथ रहना चाहिए।
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बच्चों को धर्म के संस्कार देना माता-पिता का सबसे बड़ा कर्तव्य है और बच्चों पर माता-पिता का सबसे बड़ा उपकार है। धर्म के संस्कार संतान को वर्तमान में तो विपत्तियों से रक्षा करते ही हैं साथ ही पर भव में भी नरक तिर्यंच गति आदि के दुखों से बचाते हैं। बच्चों को धार्मिक शिक्षा अवश्य दें।
🇮🇳 इंडिया नहीं, भारत बोलें🇮🇳
"मातृभाषा अपनाएँ, संस्कृति बचाएँ"