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Saurabh Jain

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    Recieved from CS Praveen Jain (Navi Mumbai) संथारे पर फैसले के खिलाफ सड़क पर ‘मौन’ हुआ जैन समाज संतांे की अगुवाई में सकल जैन समाज ने निकाली मौन रैली विरोध में जैन समाज के स्त्री-पुरुष, युवा-बुजुर्ग शामिल, लेकिन सभी शांत भाव षिर्डी - 24 अगस्त 2015। संथारा आत्महत्या नहीं, आत्मकल्याण का मार्ग है, संथारा जैन धर्म का जन्म सिद्ध अधिकार है, संथारा हमारा धर्म, इसे अपराध कहना शर्म है, संथारे पर रोक, जैन धर्म पर रोक, संथारा आत्महत्या नहीं, मोक्ष का अधिकार है जैसे नारें स्लोग्न लिखी तख्तियां लेकर सकल जैन समाज के अनुयायी षिर्डी में सोमवार 24 अगस्त 2015 को सडकों पर निकलें। श्रमण संघीय सलाहकार दिनेष मुनि, डॉ. द्वीपेन्द्र मुनि, डॉ. पुष्पेन्द्र मुनि की अगुवाई में सकल जैन समाज के अनुयायी हाथों में संथारा समर्थित तख्तियां, बाहो पर काला रिबन, जुबां पर नवकार मंत्र जाप करते इन जैन अनुयायियांे ने करीब दो किलोमीटर पैदल मौन रैली निकाली। लेकिन, इस दौरान पूरा ख्याल रखा गया कि सड़कें जाम न हों और कोई अन्य परेशानी लोगों को नहीं हो। रैली प्रातः 11 बजे जैन स्थानक शुरू होकर 11.30 बजे एस. डी. एम कार्यालय पहुंची। एक शिष्टमंडल ने राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री के नाम झापन षिर्डी एस. डी. एम श्री कुंदन सोनवणे को दिया। इससे पूर्व सकल जैन समाज के धर्मावलम्बियों ने अपने प्रतिष्ठान बंद रखें। श्रमण संघीय सलाहकार दिनेश मुनि ने कहा कि हमारा कानून देष के मंदिरों में अभी भी चल रही मूक व निरीह पशुओं की बलि प्रथा पर अभी तक रोक नहीं लगा पाया है लेकिन जैन धर्म की संस्कृति की एक महत्वपूर्ण परंपरा ‘संथारा’ को आपराधिक श्रेणी में ला खडा कर दिया। न्यायलय के इस निर्णय से समग्र जैन समाज व जैन धर्म - दर्षन को जानने व समझाने वाले करोडों अनुयायी आहत हुए है। आत्महत्या महापाप है जबकि संथारा तो तपस्या है। संथारा की परम्परा हजारों वर्षों से चली रही है। धार्मिक परम्परा पर अंग्रेज और मुस्लिम शासकों ने भी हस्तक्षेप नही किया। उसमें धर्म से अनजान व्यक्ति हस्तक्षेप कर रहे हैं। यह धर्म देश के संविधान का सम्मान करता है। संलेखना जैसी उत्कृष्ट तपस्या को विवाद का विषय बनाने की बजाय सकारात्मक नजरिया अपनाना चाहिए। मुनिश्री ने आगे कहा कि कहा जैन दर्शन में चींटी को मारना भी पाप समझा जाता है, मानव जीवन को अनमोल समझा जाता है जिसका एक-एक क्षण आत्मकल्याण के लिए उपयोगी होता है। ऐसा दर्शन अपने भक्तों को मरने का रास्ता नही दिखाएगा। आत्महत्या कायर करते हैं, वीर मनुष्य संथारा लेते हैं। संथारा उस मौत का स्वागत है जो दरवाजे पर खड़ी है। दिन-रात 24 घंटे खाते हुए, अस्पताल में दवाइयां लेते हुए, खून चढ़वाते हुए भी व्यक्ति मृत्यु को प्राप्त करता है, वह घुट-घुट कर मरता है। संथारा लिया हुआ व्यक्ति आनन्द भाव से मृत्यु को प्राप्त करता है। डॉ. द्वीपेन्द्र मुनि ने कहा कि धर्म पर कानूनी बंदिश अनुचित है। हजारों साल से चली आ रही संथारा प्रथा पर हाई कोर्ट ने रोक लगाकर दंड का प्रावधान किया है, जो गलत है। इससे समाज में आक्रोश है। डॉ. पुष्पेन्द्र मुनि ने कहा कि जैन धर्म जीना तो सिखाता ही है, जीवन के अंतिम क्षणों में समाधिपूर्वक मरना भी सिखाता है। इस महान आत्म-दृष्टि का जैन मुनि जन तो सम्मान करते ही हैं आचार्य विनोबा भावे जैसे महापुरुष भी इसका सम्मान करते थे। रैली की खास बातें - - षिर्डी सकल जैन समाज का यह प्रथम मौका था जब किसी रैली में संत शामिल हुए। 43 वर्षीय दीक्षा जीवन में सलाहकार दिनेष मुनि का जैन समाज की रैली में सम्मिलित होना दूसरा मौका है। इससे पूर्व 2007 में रोपड़ में पंजाब सरकार के खिलाफ ‘नषा मुक्त पंजाब’ रैली में दिनेष मुनि शामिल हुए थे। - जैन अनुयायियों का मैसेज था कि ध्यान रहे शांति रैली है हम अहिंसा के पुजारी हैं, उद्वेलित नहीं होते। - पुरुषों के लिए सफेद ड्रेस, महिलाओं के लिए लाल चुंदड़ी की साड़ी के आग्रह को सभी ने स्वीकारा और बढचढ कर भाग लिया।इस विरोध में जैन समाज के हजारों स्त्री-पुरुष, युवा-बुजुर्ग, लेकिन सभी शांत भाव। मौन रैली में स्थानकवासी जैन समाज के पुखराज लोढा, दिलीप सकलेचा, विजय लोढा व विजय पारख, श्वेताम्बर मूर्तिपूजक समाज के फूटरमल जैन, पारस जैन, जयंतीलाल जैन, दिगम्बर समाज के सतीष गंगवाल, षिखरचंद कासलीवाल, राजू गंगवाल इत्यादि महानुभावों की उपस्थिति में यह कार्य संपन्न हुआ। रैली को सफल बनाने में युवक मंडल अध्यक्ष नरेष पारख, मनोज लोढा, संजय लोढा, कमलेष लोढा इत्यादि समस्त युवक मंडल महिला मंडलों ने भरपूर सहायता देकर रैली को सफल बनाने में योगदान दिया। फोटो - रैली में उपस्थित जन सैलाब। ज्ञापन सौंपते ।
  3. Rally in udaipur today by jain Samaj protesting court's verdict on considering Santhara as suicide.Rallies across.
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