अमावस्या कि प्रत्युष बेला कि,
कहानी बड़ी निराली है,
महावीर के निर्माण दिवस कि,
कठिन बड़ी जुबानी है,
तीनो लोक आनन्दित था,
उत्सव नहीं महोत्सव था,
मोक्ष गए जिस पल प्रभु,
उस पल जग प्रकाशित था,
इसलिए तो हम सब मिलकर,
दीपावली मनाते है,
जिस पद को आपने पाया,
उसे हम भी पाना चाहते है।