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दस लक्षण पर्व ऑनलाइन महोत्सव

शांति पथ प्रदर्शन (जिनेंद्र वर्णी)

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  1. केवलज्ञान प्रभु ने पाया, समवशरण भी इन्द्र रचाया। मौन रहे प्रभु वीर न बोले, कितने दिन तक मुख न खोले।
  2. अतिवीर जी नाम है प्यारा, वीरों का भी एक सहारा। नाम प्रभु का कौन पुकारे, सही बताओ वर्ना हारे॥
  3. वर्द्धमान जी जो कहलाये, कर्म काट मुक्ति को पाये। नाम 'वीर जी' किसने पुकारा, सही बताओ धर्म सहारा॥
  4. 'महावीर' शुभ नाम कहाया, दूजा कौन जगत् में भाया। रखा किन्होंने नाम बताओ, सही बताकर इनाम पाओ।
  5. 14. नाम 'सन्मति' प्रभु ने पाया, सच्चा पथ है हमें बताया। मुनिवर कौन वे ऋद्धिधारी, कर्म सैन्य भी जिनसे हारी।।
  6. चार घातियाँ कर्म नशाया, प्रभु ने केवलज्ञान है पाया। तिथी कौन-सी कौन बताए, वीर प्रभु को शीश नवाए।
  7. घोर-घोर उपसर्ग है कीना, प्रभु डिगे न ध्यान में लीना। बैरी कौन वो नाम बताएं, वीर प्रभु सम हम बन जाएं।
  8. राग-आग में कभी ना जलना, ना ही भव बंधन में फँसना। दीक्षा वीर प्रभु जी धारे, तिथी कौन-सी सदा सहारे॥
  9. देव-देवियाँ स्वर्ग से आते, क्षीर सिन्धु का जल हैं लाते।। प्रभु अभिषेक कहाँ वे करायें, वीर प्रभु जी खुशी मनायें। 11.
  10. जय जिनेन्द्र आपको यह प्रयोग कैसा लग रहा हैं, नीचे कमेंट के माध्यम से अवगत कराएं | आप सभी ऐप्प जरूर डाउनलोड करलें | नई पहेली की सुचना आप follow बटन के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं
  11. तीर्थकर जो भव से तारे, भव्य जनों के बने सहारे। जन्म लिया कब वीर बताएं, सही बताकर पहचान पाएं।
  12. ☀️ आज जन्म, ज्ञान व मोक्ष कल्याणक पर्व तथा दशलक्षण पर्व का सातवाँ दिन☀️ जय जिनेन्द्र बंधुओं, आज ४ अप्रैल, दिन शनिवार, चैत्र शुक्ल एकादशी शुभ तिथि को पाँचवें तीर्थंकर देवादिदेव श्री १००८ सुमतिनाथ भगवान का जन्म, ज्ञान व मोक्ष कल्याणक पर्व तथा श्री दशलक्षण पर्व का सातवाँ दिन है- 🙏🏻 आज घर में ही भगवान सुमतिनाथ की भक्ति-भाव से पूजन अर्चन कर मोक्ष कल्याणक पर्व मनाएँ। घर पर ही निर्वाण कांड पढ़कर परोक्षरूप में भावों से तीर्थराज सम्मेदशिखर जी तथा विशेष कर संभवनाथ भगवान की निर्वाण टोंक अविचल कूट की वंदना करें। भगवान सुमतिनाथ के जन्म, ज्ञान व मोक्ष कल्याणक पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं
  13. वीर प्रभु जी गर्भ में आये, मात-पिता जन मन हर्षाये। तिथी कौन-सी कौन बताए, तथा महोत्सव आप मनाये।
  14. अंतिम तीर्थकर कहलाते, हम सब जिनको शीश नवाते। नाना-नानी का नाम बताओ, महावीर सम तुम बन जाओ॥
  15. त्रिशला रानी माँ कहलाती, महावीर को प्यार जताती। जन्म कहाँ पर माँ ने पाया, कौन बताए मेरे भाया।
  16. वर्द्धमान ने जन्म है पाया, देवों ने जयकार लगाया। महल कौन-सा कौन बताए, कुण्डलगिरी में दर्शन पाए।
  17. वीर प्रभु को गर्भ में आना, इन्द्र ने अपने ज्ञान से जाना। रत्न कहाँ पर है बरसाना, कुबेर को है ज्ञात कराना॥
  18. समवशरण में प्रभु को पाया, शीश नवाया संयम पाया। आयां व्रत वे कोन हैं धारे, वर्धमान से रिश्ता पाले।
  19. पूर्व दिशा सम माँ कहलाती, जीवन अपना धन्य बनाती। माँ का दूजा नाम बताओ, त्रिशला वीर प्रभु को ध्याओ॥
  20. वीर प्रभु ने जन्म है पाया, भव्यों का है भाग्य जगाया। । दादा-दादी का नाम बताओ, महावीर सम सब बन जाओ॥
  21. जय जिनेन्द्र आगामी 6 अप्रैल को जिन शासन नायक भगवान महावीर स्वामी के जन्मकल्याणक महोत्सव को मनाने का स्वर्णिम अवसर आने वाला है चूंकि कोरोना नामक महामारी से बचाव के लिये हम घरों तक सिमट कर रह गए है तो क्यों न हम कुछ ऐसा करें कि दुनिया छोटी लगने लगे,,, यानि,,, हम सारे विश्व के नाम एक शुभकामना संदेश लिखे जिसमे भगवान महावीर के आदर्शों और सिद्धांतों का समावेश कुछ इस तरह हो कि दुनिया महावीर की उपस्थिति का अहसास कर सकें,, आप अपने लेख (सन्देश) को इस प्रकार से लिखने का प्रयास करें जिसे पड़ने वाला कई बार पड़े और बस पड़ता ही रहें,,, आप सभी भी अपने अंदर की प्रतिभा को जगाए और ऐसी किसी घटना को लिखने का प्रयास अपने शब्दों में करें जिसे पढ़कर मन मे जैन धर्म के प्रति श्रद्धा और बलवती हो आप अपने सन्देश नीचें कमेंट में लिखे अथवा इस लिंक पर अपना सेल्फी विडियो बनाकें भेजें https://flipgrid.com/jainsamaj आपका दिन शुभ हो , वीर प्रभु की कृपा आप पर सदा बनी रहे,, घर मे रहे -स्वस्थ रहे महावीर भगवान के जन्म कल्याण दिवस की शुभकामनाएँ एवं बधाई
  22. 👉राशन तो आठ -दस दिनों का सबने कोशिश करके घर मे रख ही लिया होगा। वैसे भी प्रोविजनल स्टोर्स तो खुले ही हैं , सामान भी देर सवेर मिल ही जायेगा क्योंकि भगवान की दया से हम सब इतने सम्पन तो हैं ही। पर एक प्रार्थना है " अगर आप रोज़ दो सब्जी बनाते हैं तो अब एक बनाइये., दाल हो सके तो थोड़ी पतली रखिये। कोशिश कीजिये चावल का एक दाना भी व्यर्थ ना जावे। हो सकें तो जितना ज़रूरत है उतना पकायें और अगर फिर भी बच जाए तो पहले उस बचे हुए खाने को खाये और ईश्वर को धन्यवाद दें किे कम से कम मिल तो रहा है.... सीमित खाये ,संयमित रहिये हिन्दू धर्म तथा देशहित के लिए महाराणा प्रताप को घास की रोटियां तक खानी पडी लेकिन वे चट्टान की भांति दुश्मन के सामने अडे रहे। * घर पर हैं तो हर घण्टे ये मत पूछिए सुनो ! कुछ खाने को है क्या 🙈 समय से खाइये , कम खाइये 🙏 क्योंकि माना आपके पास पैसा है आप खरीद सकते हैं आप छ: महीने तक का राशन स्टोर कर सकते हैं पर देश के पास संसाधन सीमित हैं। ऐसा ना हो हम सब कुछ अपने घरों में इकट्ठा कर लें और कुछ लोगो को और ज्यादा मुश्किल हो जाये अपने बारे में सोचिये, पर दूसरों का भीे ख्याल रखिये। 👉परीक्षा का समय है उम्मीद है कि हम सब अच्छे अंकों के साथ इस परीक्षा में उत्तीण होंगे 🙏 कुछ सिखाकर ये दौर भी गुजर जायेगा फिर एक बार हर इंसान मुस्कुराएगा... मायूस न होना मेरे दोस्तों इस बुरे वक़्त से, कल, आज है और आज, कल हो जाएगा। 🙏🏻🙏🏻 सबका मंगल हो 🙏🏻🙏🏻🌷 पूजा जैन सिरोंज
  23. भूख लगने पर भोजन करना प्रकृति हैं , भूख न होने पर भोजन करना विकृति हैं, खुद भूखे रह कर दूसरों को भोजन कराना संस्कृति हैं | आज जब भारत सहित पूरा विश्व इस भयावही त्रासदी आपदा से ग्रस्त हैं तब *अहिंसा मयी भारतीय संस्कृति हमें आवाज़ दे रही हैं पीड़ित मानव सेवा हेतु* | जब लॉक डाउन हैं और हमारा मानसिक श्रम व शारीरिक श्रम अपेक्षाकृत कम हैं तब हमें विवेक से कार्य करना हैं, जब खूब भूख लगे तब ही भोजन करें व जब कुछ भूख बचे तब भोजन करना बंद कर देना, इससे स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा व व्यर्थ के अपव्यव अनर्थदंड से बचे रहेंगे | साधारण हल्का भोजन का पाचन अच्छी तरह हो जाता हैं और हम व्यर्थ की परेशानी से बच जायेंगे | बार बार खाने पीने की आदत से बचना ही सेहत को बचाना हैं | और इन विपरीत परिस्थिति में उस बचत अन्न सामग्री को परोपकार में लगाकर पुण्य अर्जन कर सकते हैं | स्वयं का औषधि खर्च, धन अनाज व समय को बचाकर पीड़ित मानव सेवा व देश हित में सहभागी बन सकते हैं (वने ) इन्हीं भावना के साथ ॐ शांति
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