Jump to content
फॉलो करें Whatsapp चैनल : बैल आईकॉन भी दबाएँ ×
JainSamaj.World
Unknown


Lyric: भक्तामर स्तोत्र श्लोक 48
स्तोत्र-स्रजं तव जिनेन्द्र गुणैर्निबद्धाम्,
भक्त्या मया रुचिर-वर्ण-विचित्र-पुष्पाम्।

धत्ते जनो य इह कण्ठ-गता-मजस्रं,
तं मानतुङ्ग-मवशा-समुपैति लक्ष्मी:॥ 48॥
×
×
  • Create New...