Namrata Posted September 1, 2020 Share Posted September 1, 2020 एक लाख चालीस योजन 1 है और 16 मंदिर है Link to comment Share on other sites More sharing options...
Manish preeti jain Posted September 1, 2020 Share Posted September 1, 2020 1 लाख योजन । 16 मंदिर Link to comment Share on other sites More sharing options...
Rajendra K. Daftary Posted September 1, 2020 Share Posted September 1, 2020 यह पर्वत एक लाख चालीस योजन ऊँचा है। इसकी नींव पृथ्वी के अन्दर १ हजार योजन की है अतः ऊपर में यह ९९००० योजन ऊँचा है इसकी चूलिका ४० योजन प्रमाण है। पृथ्वी के ऊपर इसका विस्तार १०००० योजन है। आगे घटते-घटते चूलिका के अग्रभाग में इसका विस्तार ४ योजन मात्र रह गया है। पृथ्वी पर जहां पर इसका विस्तार १०००० योजन है । भद्रशाल वन में चारों ही दिशाओं में चार जिनमन्दिर हैं। नंदनवन में चारों ही दिशाओं में एवं पांडुकवन की चारों ही दिशाओं में चार जिनमन्दिर होने से कुल १६ जिनमन्दिर हो जाते हैं। भद्रसाल के जिनमन्दिर का विस्तार २०० कोश, लम्बाई ४०० कोश और ऊँचाई ३०० कोश प्रमाण है। यही प्रमाण नंदनवन के चारों चैत्यालयों का है। सौमनवन के मन्दिरों का प्रमाण इनसे आधा है अर्थात् विस्तार १०० कोश, लम्बाई २०० कोश और ऊंचाई १५० कोश है। पांडुकवन के जिनमन्दिर इससे भी अर्धप्रमाण वाले हैं अर्थात् विस्तार ५० कोश, लम्बाई १०० कोश और ऊंचाई ७५ कोश प्रमाण है। पांडुकवन के जिनमन्दिर के प्रमुख द्वार की ऊंचाई १६ कोश, विस्तार ८ कोश है। मन्दिर के दक्षिण-उत्तर के द्वारों का प्रमाण इससे आधा होता है। ये तीनों ही द्वार दिव्य तोरण स्तम्भों से संयुक्त हैं। ये जिनमन्दिर कुन्दपुष्प सदृश धवल मणियों से निर्मित हैं। इनके दरवाजे कर्वेâतन आदि मणियों से निर्मित वङ्कामयी हैं। जिनमंदिर के मध्य में स्फटिक मणिमय १०८ उन्नत सिंहासन हैं। उन सिंहासनों पर ५०० धनुष१ प्रमाण ऊंची १०८ जिनप्रतिमायें विराजमान हैं जो कि अनादि अनिधन हैं, अकृत्रिम हैं, इन जिनप्रतिमाओं मेें से प्रत्येक जिनप्रतिमा के आजू-बाजू में श्रीदेवी, श्रुतदेवी तथा सर्वाण्हयक्ष व सनत्कुमार यक्षों की मूर्तियां रहती हैं। प्रत्येक जिनप्रतिमा के निकट भृंगार, कलश, दर्पण, चंवर, ध्वजा, बीजना, छत्र और सुप्रतिष्ठ ये ८ मंगलद्रव्य प्रत्येक १०८-१०८ होते हैं। इन जिनमंदिरों में सुवर्ण, मोती आदि की मालाएं लटकती रहती हैं। धूपघट, मंगलघट आदि के प्रमाण अलग-अलग बताये हुए हैं। इन अकृत्रिम जिनमंदिरों का विस्तृत वर्णन त्रिलोकसार, तिलोयपण्णत्ति आदि ग्रन्थों से समझना चाहिए। Link to comment Share on other sites More sharing options...
Aavrati jain Posted September 1, 2020 Share Posted September 1, 2020 गिरनार Link to comment Share on other sites More sharing options...
Pooja Sunil Wadkar Posted September 1, 2020 Share Posted September 1, 2020 मेरू पर्वत कि कुल उंचाई एक लाख चालीस योजन, कुल मंदिर 16 Link to comment Share on other sites More sharing options...
Rinku jain nlb Posted September 1, 2020 Share Posted September 1, 2020 1 लाख चालीस योजन लम्बाई है । मंदिर 16 है Link to comment Share on other sites More sharing options...
Amisha Jain Posted September 1, 2020 Share Posted September 1, 2020 1000 yojan uchai 458 mandir Link to comment Share on other sites More sharing options...
Jindas Bapurao Annadate Posted September 1, 2020 Share Posted September 1, 2020 सुमेरू पर्वत की उंचाई 1 लाख योजन, 16 जिन चैत्त्यालय Link to comment Share on other sites More sharing options...
AmritaJain Posted September 1, 2020 Share Posted September 1, 2020 Ek lakh yojan aur १६ mandir Link to comment Share on other sites More sharing options...
Tejal Posted September 1, 2020 Share Posted September 1, 2020 13 hours ago, admin said: मध्यलोक के बीच में पर्वत, नाम सुमेरु देव हैं अर्चत । इसकी तुम ऊँचाई बताओ, कितने मन्दिर यहाँ गिनाओ ॥ Ek lakh yojan unchai Link to comment Share on other sites More sharing options...
Swathi Jain Posted September 1, 2020 Share Posted September 1, 2020 उत्तर- एक लाख चालीस योजन मंदिर-78 Link to comment Share on other sites More sharing options...
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