admin Posted January 4, 2019 Share Posted January 4, 2019 कल्याणक क्षेत्र प्रयाग-ऋषभदेव तपस्थली नाम एवं पता - तीर्थंकर ऋषभदेव दीक्षा तीर्थ, प्रयाग (तपस्थली), इलाहाबाद-बनारस हाईवे, निकट अंदावा मोड, पो. इलाहाबाद (उत्तरप्रदेश) -- पिन-211003 टेलीफोन - 094527 08616 क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ आवास - कमरे (अटैच बाथरूम) - 38, कमरे (बिना बाथरूम) -x, हाल - 1 (यात्री क्षमता - 100), गेस्ट हाऊस - X यात्री ठहराने की कुल क्षमता - 300. भोजनशाला - सशुल्क, नियमित एस.टी.डी./पी.सी.ओ.- है। आवागमन के साधन रेल्वे स्टेशन - इलाहाबाद - 13 कि.मी. बस स्टेण्ड - इलाहाबाद - 10 कि.मी. पहुँचने का सरलतम मार्ग - इलाहाबाद रेल्वे स्टेशन उतर कर रामबाग (इलाहाबाद)बस स्टेण्ड से सीधे मंदिर तक साधन उपलब्ध।ऑटो से भी जाया जा सकता है। निकटतम प्रमुख नगर - इलाहाबाद - 13 कि.मी., बनारस - 110 कि.मी. प्रबन्ध व्यवस्था संस्था - तीर्थंकर ऋषभदेव तपस्थली प्रयाग प्रबंध कमेटी, इलाहाबाद अन्तर्गत - दि. जैन त्रिलोक शोध संस्थान, जम्बूद्वीप हस्तिनापुर (मेरठ) अध्यक्ष - स्वस्तिश्री रवीन्द्रकीर्ति स्वामीजी, हस्तिनापुर (094127 08203) मंत्री - श्री अजित प्रसाद जैन, इलाहाबाद (094153 67215) प्रबन्धक - श्री बद्रीप्रसाद जैन (094527 08616) क्षेत्र का महत्व क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या - 3 + 1 कीर्तिस्तंभ क्षेत्र पर पहाड़ - कृत्रिम पहाड़ है, 127 सीढ़ियाँ है। ऐतिहासिकता - तीर्थंकर ऋषभदेव ने जिस सिद्धार्थ नामक वन में जाकर वटवृक्ष के नीचे जैनेश्वरी दीक्षा एवं केवलज्ञान प्राप्त किया था वही स्थान करोड़ों वर्षों पूर्व से प्रयाग केनाम से प्रसिद्धिको प्राप्त हुआ, ऐसा जैन ग्रन्थों में वर्णन है। हरिवंशपुराण में कहा है। -‘एवमुक्ता प्रजायत्र, प्रजापतिमपूजयत्, प्रदेशः सप्रयागारण्यो, यतः पूजार्थयोगतः',पद्मपुराण में-'प्रकृष्टोवाकृतस्त्याग: प्रयागस्तेन कीर्तितः' वर्णित है । पूज्य गणिनीप्रमुख आर्यिका श्री ज्ञानमती माताजी की प्रेरणा से फरवरी 2001 में उक्त ऋषभदेव दीक्षा तीर्थका अभूतपूर्व निर्माण हुआ है।दीक्षा तपोवन, समवसरण रचना, कैलाश पर्वत, गुफा मन्दिर, कीर्तिस्तम्भ इत्यादिवंदनीयस्थल हैं। 14 फुट ऊँची पद्मासन की विशाल प्रतिमा त्रिकाल चौबीसी की 72 जिनालयों में जिन प्रतिमाएं विराजमान है। समवसरण मंदिर भी दर्शनीय है, तथा पवित्ररचना का मॉडल स्थापित है। वार्षिक मेले - ऋषभदेव दीक्षा कल्याणक - चैत्रवदी 9 से 11 तक वार्षिक महोत्सव, माध कृ. 14 - ऋषभदेव निर्वाण कल्याणक माधशु. 13तीर्थक्षेत्र प्रतिष्ठापना दिवस।। समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र कौशाम्बी - 80 कि.मी., प्रभाषगिरि - 80 कि.मी., काकंदी -300 कि.मी., अयोध्या-170 कि.मी. वाराणसी - 110 कि.मी. आपका सहयोग : जय जिनेन्द्र बन्धुओं, यदि आपके पास इस क्षेत्र के सम्बन्ध में ऊपर दी हुई जानकारी के अतिरिक्त अन्य जानकारी है जैसे गूगल नक्षा एवं फोटो इत्यादि तो कृपया आप उसे नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें| यदि आप इस क्षेत्र पर गए है तो अपने अनुभव भी लिखें| ताकि सभी लाभ प्राप्त कर सकें| Link to comment Share on other sites More sharing options...
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