admin Posted January 1, 2019 Share Posted January 1, 2019 कल्याणक क्षेत्र हस्तिनापुर नाम एवं पता - श्री दिगम्बर जैन प्राचीन बड़ा मंदिर, तीर्थक्षेत्र कमेटी, हस्तिनापुर, ग्राम-हस्तिनापुर, तहसील-मवाना, जिला-मेरठ (उत्तरप्रदेश) पिन-250 404 टेलीफोन - 01233 - 280133, फैक्स - 280188 (कैलाश पर्वत रचना - 280999) Email - info@jainbaramandirhtr.com, Website - www.jainbaramandirhtr.com क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ आवास - कमरे (अटैच बाथरूम)- 185 , कमरे (बिना बाथरूम) - 125, हाल - 3 (यात्री क्षमता - लगभग 75 प्रत्येक), गेस्ट हाऊस - 1 यात्री ठहराने की कुल क्षमता - 2500 भोजनशाला - सशुल्क, नियमित औषधालय - है पुस्तकालय - पुस्तकें लगभग -1000, शास्त्र-100 विद्यालय - है - 1. श्री दि. जैन उत्तर-प्रांतीय गुरूकुल, एस.टी.डी./पी.सी.ओ-है। 2.श्री दि. जैन उदासीन आश्रम,हस्तिनापुर आवागमन के साधन रेल्वे स्टेशन - मेरठ - 38 कि.मी. पहुँचने का सरलतम मार्ग - मुजफ्फपुर नगर एवं मेरठ से सड़क मार्ग द्वारा हस्तिनापुर पहुँचा जा सकता है। निकटतम प्रमुख नगर - मेरठ - 38 कि.मी., दिल्ली - 110 कि.मी.मुजफ्फरनगर - 55 कि.मी. प्रबन्ध व्यवस्था संस्था - श्री दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र प्रबन्धकारिणी समिति, हस्तिनापुर अध्यक्ष - श्री त्रिलोकचन्द जैन, दिल्ली (०11 - 56002000, मो.: 092120 02000) महामंत्री - श्री मुकेश जैन सर्राफ, मेरठ (0121-2515602, 98371 28899) प्रबन्धक - श्री मुकेशकुमार जैन, हस्तिनापुर (०1233 - 280133, 09412551909) क्षेत्र का महत्व क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या - बड़ा मंदिर परिसर - 15, कैलाश पर्वत रचना - 75 क्षेत्र पर पहाड़ - हैं, 131 फुट उत्तुंग कृत्रिम कैलाश पर्वत रचना 2100 सीढ़ियाँ ऐतिहासिकता - गुरुदत्त नामक नरेश,जो द्रोणमति पर्वत पर ध्यानारूढ़ थे, उन पर एक भील ने अग्नि उपसर्ग किया। उन्हें केवलज्ञान हुआ। प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ को राजा श्रेयांस द्वारा इक्षुरस से यहाँ प्रथम बार आहार दिया गया था, जिससे अक्षय तृतीया पर्व का प्रादुर्भाव हुआ। विष्णुकुमार मुनि द्वारा अकम्पनाचार्यादि. 700 महामुनिराजों का उपसर्ग निवारण यहीं पर हुआ, जिससे रक्षाबंधन पर्व प्रारंभ हुआ।भगवान श्री शान्तिनाथ, कुन्थुनाथ, अरहनाथ केगर्भ, जन्म, तप एवं ज्ञान कल्याणकों की यह पवित्र धरा है। कल्याणक स्थलों पर नसियाँजी में तीनों तीर्थंकरों के चरणचिन्ह निर्मित हैं। यहाँ पर भगवान मल्लिनाथजी का समवशरण आया था। विशेष जानकारियाँ - प्राचीनकाल में यहाँ स्तूपों के अतिरिक्त अनेक जैन मंदिरों एवं नसियाँजी का निर्माण हुआ था। समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र दिल्ली 110 कि.मी., आगरा 250 कि.मी., मथुरा 200 कि.मी., महलका - 32 कि.मी., बहसूमा-8 कि.मी., बहलना -55 कि.मी., बरनावा - 60 कि.मी., बड़ागाँव - 85 कि.मी. आपका सहयोग : जय जिनेन्द्र बन्धुओं, यदि आपके पास इस क्षेत्र के सम्बन्ध में ऊपर दी हुई जानकारी के अतिरिक्त अन्य जानकारी है जैसे गूगल नक्षा एवं फोटो इत्यादि तो कृपया आप उसे नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें| यदि आप इस क्षेत्र पर गए है तो अपने अनुभव भी लिखें| ताकि सभी लाभ प्राप्त कर सकें| Link to comment Share on other sites More sharing options...
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