admin Posted December 13, 2018 Share Posted December 13, 2018 अतिशय क्षेत्र/कला तीर्थ ग्यारसपुर मध्यप्रदेश नाम एवं पता - श्री 1008 दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र चौबीसी मन्दिर, ग्यारसपुर ग्राम/तहसील - ग्यारसपुर, जिला - विदिशा (मध्यप्रदेश) पिन - 464 331 टेलीफोन - 07596 - 263222, 08269252080 क्षेत्र पर उपलब्ध सुविधाएँ आवास - कमरे (अटैच बाथरूम) - निर्माणाधीन,कमरे (बिना बाथरूम)-2 हाल - 1(यात्री क्षमता - 15), गेस्ट हाउस - शासकीय यात्री ठहराने की कुल क्षमता - 25. भोजनशाला - नहीं औषधालय - है (वैद्य दीपचन्द जैन द्वारा संचालित धर्मार्थ) पुस्तकालय - नहीं विद्यालय - नहीं एस.टी.डी./ पी.सी.ओ. - है। आवागमन के साधन रेल्वे स्टेशन - विदिशा - 37 कि.मी. बस स्टेण्ड - ग्यारसपुर । पहुँचने का सरलतम मार्ग - बस द्वारा विदिशा - सागर सड़क मार्ग पर स्थित विदिशा - 37 कि.मी., सागर - 80 कि.मी., प्रबन्ध व्यवस्था संस्था - दि. जैन अतिशय क्षेत्र चौबीसी मन्दिर कमेटी, ग्यारसपुर अध्यक्ष - श्री नरेश कुमार जैन (09907755500) मंत्री - श्री रूपेन्द्र जैन (099936 02776) प्रबन्धक - श्री सुरेन्द्रकुमार गोयल क्षेत्र का महत्व क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या : 01 क्षेत्र पर पहाड़ : है माला देवी (सीधी चढ़ाई हैं)। 1 कि.मी. वाहन पहाड़ पर जाते है। ऐतिहासिकता : इस क्षेत्र पर अतिशयकारी चौबीसी जिन बिम्ब विद्यमान हैं। 10 वीं शताब्दी का दिगम्बर जैन मन्दिर दो पहाड़ियों के मध्य कला का अद्भुत नमूना है। वज्रमठमन्दिर भी उच्च कलाकोटि का जैन मन्दिर है। नगर के भीतर बाहर अनेक पुरावशेष बिखरे पड़े हैं। किंवदन्ती है कि राजा श्रीपाल का कुष्ठ रोग यहाँ के मानसरोवर तालाब से दूर हुआ था। कुछ विद्वानों के अनुसार यह क्षेत्र भगवान शीतलनाथ की तपोभूमि और दो कल्याणक क्षेत्र है। भगवान पाश्र्वनाथ की खड्गासन 4 फुट 9 इंच की प्रतिमा है। लगभग 50 वर्ष पूर्व किन्हीं अज्ञात कारण से प्रतिमा में से पसीना निकला था। जो हवन शुद्धि पर बंद हुआ। समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र - विदिशा (उदयगिरि की गुफाएँ)- 37 कि.मी., भोपाल - 93 कि.मी. आपका सहयोग : जय जिनेन्द्र बन्धुओं, यदि आपके पास इस क्षेत्र के सम्बन्ध में ऊपर दी हुई जानकारी के अतिरिक्त अन्य जानकारी है जैसे गूगल नक्षा एवं फोटो इत्यादि तो कृपया आप उसे नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें| यदि आप इस क्षेत्र पर गए है तो अपने अनुभव भी लिखें| ताकि सभी लाभ प्राप्त कर सकें| Link to comment Share on other sites More sharing options...
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