Surbhi S Posted September 10 Share Posted September 10 (edited) Day 3: Uttam Arjav challenge Activity 1. Break the cycle of deceit Exercise Challenge: Reflect on a past instance where you manipulated or deceived someone. Apologize to the person if possible, and openly admit your mistake. Purpose: Owning up to past mistakes helps to break the cycle of deceit. दिन 3: उत्तम अर्जव चुनौती गतिविधि 1. धोखे के चक्र को तोड़ें चुनौती: किसी ऐसे पिछले समय पर विचार करें जब आपने किसी को धोखा दिया या छल किया हो। यदि संभव हो, तो उस व्यक्ति से माफी मांगें और अपनी गलती खुले तौर पर स्वीकार करें। उद्देश्य: पिछले गलतियों को स्वीकार करना धोखे के चक्र को तोड़ने में मदद करता है। Activity 2. Compliment without motive Challenge: For today, give at least one genuine compliment without expecting anything in return or using it to gain favor. Purpose: This teaches us to interact without ulterior motives. गतिविधि 2. बिना उद्देश्य के प्रशंसा करें चुनौती: आज के लिए, बिना किसी उम्मीद या लाभ के, एक सच्ची प्रशंसा करें। उद्देश्य: यह हमें बिना छिपे हुए उद्देश्यों के साथ बातचीत करना सिखाता है। "At the end of the day, post your comment, experience, or story in the comments." "दिन के अंत में, अपनी टिप्पणी, अनुभव, या कहानी टिप्पणियों में पोस्ट करें।" Edited September 10 by Surbhi S Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Rajkumaar jain Posted September 10 Share Posted September 10 *आज का धर्म - उत्तम आर्जव धर्म* *उत्तम आर्जव धर्म की जय* सीधा, सादा और सरल होना ही सहजता है और सहजता का जीवन में आ जाना ही ऋजुता है, यानी जिसके जीवन में सीधापन, सरलता, सहजता और ऋजुता है वही उत्तम आर्जव धर्म का सही उपासक है। *ॐ ह्रीं उत्तम आर्जव धर्माङ्गाय नमः* Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Neelima Bharil Posted September 10 Share Posted September 10 Man Vachan kay se purnata andar aur bahar ek sa hona nish kapat nishpaap hona hi saralta ke sath aarjav Dharm hai Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
रूबी जैन Posted September 10 Share Posted September 10 आज का व्यक्ति अपने ऊपर काफी घमंड करता है की वही सब से जादा श्रष्टि है और बाकी सब बेकार है जबकि वह अपने अंदर नही झकता की वो है किया है Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Divyani jain Posted September 10 Share Posted September 10 आर्जव अर्थात ‘मायाचारी’ का अभाव। वह मायाचारी का अभाव जब सम्यकदर्शन के साथ होता है, तब उत्तम आर्जव धर्म नाम पाता है। कपट न कीजे कोय, चोरन के पुर ना बसें।सरल-सुभावी होय, ताके घर बहु-संपदा।। किसी को भी छल-कपट कभी नहीं करना चाहिए क्योंकि चोरों के गांव कभी नहीं बसते, जो जीव सरल स्वभावी होते हैं, उनके घर में संपदा की अपने आप वृद्धि होती है। उत्तम आर्जव धर्म की जय 1 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
admin Posted September 10 Share Posted September 10 @Divyani jain क्या आपने ऊपर का प्श्न पढ़ा ??? [ किसकी प्रशंसा की - फिर क्या हुआ यह बताना हैं Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
admin Posted September 10 Share Posted September 10 @Rajkumaar jain @Neelima Bharil @रूबी जैन क्या आप सब ने प्रश्न पढ़ लिया था ? चुनौती: 1 आज के लिए, बिना किसी उम्मीद या लाभ के, एक सच्ची प्रशंसा करें। चुनौती: 2 किसी ऐसे पिछले समय पर विचार करें जब आपने किसी को धोखा दिया या छल किया हो। यदि संभव हो, तो उस व्यक्ति से माफी मांगें और अपनी गलती खुले तौर पर स्वीकार करें। Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Ashish harvi jain Posted September 10 Share Posted September 10 योग्यताएं "कर्म" से पैदा होती है जन्म से हर व्यक्ति शून्य होता है इंसान" करवट लेता है तो "दिशा" बदल जाती है Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Rajkumaar jain Posted September 11 Share Posted September 11 एक गाँव में एक किसान रहता था उसके परिवार में उसकी पत्नी और एक लड़का था। कुछ सालों के बाद पत्नी मृत्यु हो गई उस समय लड़के की उम्र दस साल थी किसान ने दुसरी शादी कर ली। उस दुसरी पत्नी से भी किसान को एक पुत्र प्राप्त हुआ। किसान की दुसरी पत्नी की भी कुछ समय बाद मृत्यु हो गई। किसान का बड़ा बेटा जो पहली पत्नी से प्राप्त हुआ था जब शादी के योग्य हुआ तब किसान ने बड़े बेटे की शादी कर दी। फिर किसान की भी कुछ समय बाद मृत्यु हो गई। किसान का छोटा बेटा जो दुसरी पत्नी से प्राप्त हुआ था और पहली पत्नी से प्राप्त बड़ा बेटा दोनो साथ साथ रहते थे। कुछ टाईम बाद किसान के छोटे लड़के की तबीयत खराब रहने लगी। बड़े भाई ने कुछ आस पास के वैद्यों से ईलाज करवाया पर कोई राहत ना मिली। छोटे भाई की दिन पर दिन तबीयत बिगड़ी जा रही थी और बहुत खर्च भी हो रहा था। एक दिन बड़े भाई ने अपनी पत्नी से सलाह की, यदि ये छोटा भाई मर जाऐ तो हमें इसके ईलाज के लिऐ पैसा खर्च ना करना पड़ेगा। तब उसकी पत्नी ने कहा: कि क्यों न किसी वैद्य से बात करके इसे जहर दे दिया जाऐ किसी को पता भी ना चलेगा कोई रिश्तेदारी में भी कोई शक ना करेगा कि बिमार था बिमारी से मृत्यु हो गई। बड़े भाई ने ऐसे ही किया एक वैद्य से बात की आप अपनी फीस बताओ और ऐसा करना मेरे छोटे भाई को जहर देना है। वैद्य ने बात मान ली और लड़के को जहर दे दिया और लड़के की मृत्यु हो गई। उसके भाई भाभी ने खुशी मनाई की रास्ते का काँटा निकल गया अब सारी सम्पति अपनी हो गई । उसका अतिँम संस्कार कर दिया कुछ महीनो पश्चात उस किसान के बड़े लड़के की पत्नी को लड़का हुआ। उन पति पत्नी ने खुब खुशी मनाई, बड़े ही लाड प्यार से लड़के की परवरिश की थोड़े दिनो में लड़का जवान हो गया। उन्होंने अपने लड़के की शादी कर दी। शादी के कुछ समय बाद अचानक लड़का बीमार रहने लगा। माँ बाप ने उसके ईलाज के लिऐ बहुत वैद्यों से ईलाज करवाया। जिसने जितना पैसा माँगा दिया सब दिया कि लड़का ठीक हो जाऐ। अपने लड़के के ईलाज में अपनी आधी सम्पति तक बेच दी पर लड़का बिमारी के कारण मरने की कगार पर आ गया। शरीर इतना ज्यादा कमजोर हो गया कि अस्थि पिजंर शेष रह गया था। एक दिन लड़के को चारपाई पर लेटा रखा था और उसका पिता साथ में बैठा अपने पुत्र की ये दयनीय हालत देख कर दुःखी होकर उसकी और देख रहा था। तभी लड़का अपने पिता से बोला: “कि भाई! अपना सब हिसाब हो गया बस अब कफन और लकड़ी का हिसाब बाकी है उसकी तैयारी कर लो।” ये सुनकर उसके पिता ने सोचा कि लड़के का दिमाग भी काम ना कर रहा बीमारी के कारण और बोला बेटा मैं तेरा बाप हुँ, भाई नहीं। तब लड़का बोला मै आपका वही भाई हुँ जिसे आप ने जहर खिलाकर मरवाया था जिस सम्पति के लिऐ आप ने मरवाया था मुझे अब वो मेरे ईलाज के लिऐ आधी बिक चुकी है आपकी की शेष है हमारा हिसाब हो गया। तब उसका पिता फूट-फूट कर रोते हुवे बोला, कि मेरा तो कुल नाश हो गया जो किया मेरे आगे आ गया पर तेरी पत्नी का क्या दोष है जो इस बेचारी को जिन्दा जलाया जायेगा। (उस समय सतीप्रथा थी, जिसमें पति के मरने के बाद पत्नी को पति की चिता के साथ जला दिया जाता था) तब वो लड़का बोला: कि वो वैद्य कहाँ, जिसने मुझे जहर खिलाया था पिता ने कहा: कि आपकी मृत्यु के तीन साल बाद वो मर गया था। तब लड़के ने कहा: कि ये वही दुष्ट वैद्य आज मेरी पत्नी रुप में है मेरे मरने पर इसे जिन्दा जलाया जायेगा। Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
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