admin Posted September 9 Share Posted September 9 आप कैसे पहचान सकते हैं कि आपका अभिमान स्वाभिमान है या पराभिमान? Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
BhavikaJain Posted September 9 Share Posted September 9 Our self-respect will be when we consider ourselves good but do not consider others as worthless and it will be supreme self-respect when we consider ourselves the best and consider others as inferior to us. Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Divya Jain Bangalore Posted September 9 Share Posted September 9 यदि स्वयं के ज्ञाता दृष्टा भगवान रूप का अभी हो तो स्वाभिमान है, यदि पर पदार्थों को अपना मान उससे अभिमान आये तो पराभिमान है। Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
R K Posted September 9 Share Posted September 9 अपना आत्म मूल्यांकन करके Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Somlata Thakur Posted September 9 Share Posted September 9 जब मन में किसी भी प्रकार का मैं भाव न आए तो स्वाभिमान है और आए तो परभिमान होगा Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Sarita Jain Sagar Posted September 9 Share Posted September 9 यदि लोग हम से दूर हो रहें हैं तो हमारा अभिमान पराभिमानहै Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Rajkumaar jain Posted September 9 Share Posted September 9 यह इस बिषय पर मुझे 1008 श्री भगवान नेमीनाथ जीवन का से बात करने की कोशिश करता हूँ गलती हो जाए तो छोटा समझकर माफ़ कर देना बात जब की है श्री कृष्णजी द्वारकाधीश थे तथा नाग शैय्या बिराजमान होकर अंहकार ने अपनी जगह बना ली एक दिन सभा के अंदर हुआ है चर्चा चली कि कौन सब बड़ा बलवान है सबने अपनी बात की श्री कृष्ण सबसे बलवान है बलदेव जी कहा कि यहाँ बिराजमान भगवान नेमीनाथ जी से बड़ा बलवान हो सकता है श्री कृष्ण को यह बात जुब गई श्री कृष्ण ने भगवान नेमीनाथ जी को युद्ध के लिए ललकारा पर भगवान नेमीनाथ मना किया ओर कहा कि यदि किसी में सामथ्र्य होतो मेरे हाथ से अगुठी निकाल दिखा दे पर कोई भी उंगली को सीघा नहीं कर पाया तब जाकर उनके अंहकार का हट सबको पता चला कि बलदेव जी भगवान नेमीनाथ के बारे में सच कहा था 🙏 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
tilakmati sethi Posted September 9 Share Posted September 9 जहां पर की महिमा में झूठा अपनतव दिखाना पराभिमान है और जहां कर्तव्य का मूल्यांकन है स्वाभिमान है। ये कहना कि मेरी मां विदुषी है यह पराभिमान है और यह कहना कि मैं कुलीन परिवार से हूं मुझे यह काम करना शोभा नहीं देता यह स्वाभिमान है। Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
आलोक jain Posted September 9 Share Posted September 9 हम अपने स्वाभाव से अपनी स्वाभिमान को पहचान सकते है आलोक जैन सिहोरा जिला जबलपुर म प्र Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Pravina Shah Posted September 9 Share Posted September 9 कुल के हिसाब से होगा तो स्वाभिमान और दुसरोकि वस्तु को अपना बताकर परभिमान नही बननआ चाहिये Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Sadhana.jain Posted September 9 Share Posted September 9 एक स्वाभिमान और दूसरा सामान्य अभिमान अर्थात् पराभिमान । ‘मैं उत्तम कुल का हूँ क्योंकि मेरा पिता बड़ा आदमी है इत्यादि’ तो पराभिमान है, क्योंकि पिता आदि पर की महिमा में झूठा अपनत्व किया जा रहा है । परन्तु ‘मेरा यह कर्तव्य नहीं, क्योंकि मेरा कुल ऊँचा है’ यह है स्वाभिमान क्योंकि अपने कर्तव्य की महिमा का मूल्यांकन करने में आ रहा है । पराभिमान निन्दनीय और स्वाभिमान प्रशंसनीय गिनने में आता है । इसलिए वास्तविक अभिमान करना है, तो स्वाभिमान उत्पन्न कर अर्थात् निज चेतन्य विलास के प्रति महिमा उत्पन्न कर, जितनी चाहे कर । Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Alka sushil jain Posted September 10 Share Posted September 10 स्वाभिमान है या परभिमान, ये हम अपने आचरण से या अपने विचारों से जान सकते है Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Rita Posted September 10 Share Posted September 10 आचरण और व्यवहार से Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
निहारिका जैन Posted September 11 Share Posted September 11 अपने परिवार, कुल, जाति आदि पर पदार्थों पर और सब कार्य मेरी वजह से हो रहे है ऐसा मानना पराभिमान तथा अपना कर्तव्य समझकर किसी कार्य को करना स्वाभिमान है Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Rita Posted September 12 Share Posted September 12 स्वयं के आचरण और व्यवहार से Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Rita Posted September 13 Share Posted September 13 स्वयं के आचरण और व्यवहार से Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
admin Posted September 13 Author Share Posted September 13 @Ritaजी आपको पता चल नहीं रहा था क्या की आप की हो गई हैं Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
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