admin Posted September 8 Share Posted September 8 English: Imagine a situation where a friend betrays your trust. Based on the teachings in the article, describe how you would apply the principle of "उत्तम क्षमा" in this scenario. Hindi: एक ऐसी स्थिति की कल्पना कीजिए जहाँ एक मित्र ने आपके विश्वास को तोड़ा है। लेख में दिए गए सिद्धांतों के आधार पर बताइए कि आप इस स्थिति में "उत्तम क्षमा" के सिद्धांत को कैसे लागू करेंगे। प्रतियोगिता समाप्त होने तक आपके उत्तर किसी ओर को नहीं दिखेंगे आप भी किसी के उत्तर नहीं देख पाएंगे 1 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
नीला नलिन शाह Posted September 8 Share Posted September 8 सबसे पहले हमें उस पर कोधआयेगाजी लेकिन हम अपने भाव को कोध की जगह क्षमा को देकर उसे क्षमा करेंगे Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Sukhamoy Maji Posted September 8 Share Posted September 8 I will forgive him from my heart and try to considering his mental status, I will remain aware so that such incidents never happens in future. I will not tell anyone this incident. Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Rahul kumar jain 24 Posted September 8 Share Posted September 8 हम मित्र को उसकी गलतियां समझायेंगे तथा उससे अपनी गलती की माफी माँगकर उत्तम क्षमा धर्म को सार्थक बनाने की कोशिश करेंगे Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Pramilajain Posted September 8 Share Posted September 8 Whatever has done is done I will tell him or her and than move forward. Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Pri6537 Posted September 8 Share Posted September 8 इसके लिए पृथ्वीराज का उदाहरण दिया जा सकता हैं। मोहम्मद गौरी से कई युद्ध जीते हर बार पृथ्वीराज ने उसे क्षमा किया फिर भी हर बार गौरी ने उसका विश्वास तोड़ा फिर भी पृथ्वीराज ने उससे कभी द्वेष नहीं किया, न कभी उन्होंने अपने क्षमा कर्तव्य (गुण) को भुलाया। हमारा मित्र यदि विश्वास तोड़ता है तो हमको भी उससे द्वेष नहीं, उसको क्षमा कर देना चाहिए। क्योंकि क्षमा वीरास्या भूषणम 🙏 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
BhavikaJain Posted September 8 Share Posted September 8 The deception given by a friend hurts our mind, in such a situation we should have the feeling of utmost forgiveness and think that it is possible that I may have cheated him in some situation or it may be that it was his compulsion, I have fulfilled my friendship completely, I do not have any feeling of hatred for him in my mind. That living being is also capable of becoming pure, siddh, conscious, god, this cannot be the possibility of his soul. I should not consider the deception given by him as a deception, but the result of my deeds and should not have any kind of enmity towards him Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
R K Posted September 8 Share Posted September 8 उसे समझकर क्षमा करके Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
divyajain Posted September 8 Share Posted September 8 Main ek Chetan atma hun mera na koi Mitra hai Na koi Shatru hai na hi koi mujhe Dhokha de raha hai . Yadi mujhe koi Dhokha de raha hai to vah swayam mere andar ki kashay hai. Hamara Krodh hi hamara Shatru hai. Kshma Dharm ka palan karke Krodh per Vijay prapt ki ja sakti hai. Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Mehakan Jain Posted September 8 Share Posted September 8 यदि मेरे साथ विश्वासघात हुआ है तो मैं उस मित्र को ये समझकर आंतरिक रूप से क्षमा कर दूंगी कि पुराना हिसाब चुकता हुआ है मतलब मैंने भूतकाल या फिर पूर्व भव में किसी के साथ विश्वासघात किया होगा जिसका फल मुझे मिला है। मेरा वो मित्र तो बस इन सबमें निमित्त मात्र है। और मैं निमित्त को नहीं निमित्त के कारण को देखूंगी जो मैं स्वयं हूं। Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
रूबी जैन Posted September 8 Share Posted September 8 उसे प्यार से ऐसा करने का कारण पूछे फिर उसको समझा के कुछ सीख देकर छोड़ देंगे Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Pravina Shah Posted September 8 Share Posted September 8 Ab kya kar shakte hai jesi jis ki soch mitra hi vishvas tode to jo huva so huva ab esa na ho vo khyal rakhana Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Rekha J Posted September 8 Share Posted September 8 इस स्थिति में हम हमारे विचारों द्वारा अपने क्रोध को दबाने का प्रयत्न करेंगे और अपने मित्र से भी द्वेष की भावना नहीं रखेंगे क्योंकि द्वेष की भावना से हम अपने आप को क्षति पहुंचाएंगे इसीलिए हमें हमारा कर्तव्य देखना है दूसरों का नहीं इसीलिए हम हमारा आत्म हित देखते हुए हमारे शत्रु को भी क्षमा कर देंगे। Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
tilakmati sethi Posted September 8 Share Posted September 8 वह पहले भी मित्र था बाद में भी मित्र ही रहेगा।अवसर बीत जाने पर वह पहले की ही भांति ही दिखेगा। यही उत्तम क्षमा है Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
016_AkshayJain Posted September 8 Share Posted September 8 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Sarita Jain Sagar Posted September 9 Share Posted September 9 मित्र को क्षमा करके उसे सुधार करने की सलाह देंगे Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Archana Lohade Posted September 9 Share Posted September 9 पृथ्वीराज चौहान ने कयी बार मुहम्मद गौरी को युद्ध में हराया था।वह उनकी वीरता थी। लेकिन जयचंद राठौड़ ने द्वेष के कारण उनसे गद्दारी की ओर गौरी से मिलकर साजिश से पृथ्वीराज चौहान को फसाया।यहापर पृथ्वीराज चौहान के क्षमा गुण से विरता प्रकट होती है वह वीर था। अपने क्षमा गुण को भुलना नही चाहता था । यही कायरो की तरह अपने क्षमा गुण छोड़ना नहीं चाहता था Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Prachi Avinash jain Posted September 9 Share Posted September 9 Mitra ne mere vishwas ko toda to mere mann ko aghat puccha. Mujhe thoda samay lagega lekin main use mann se chamma kar dungi Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Tejal Shah Posted September 9 Share Posted September 9 उसे शांतिपूवर्क समझाबूझाकर छोड़ दिया जाता है माफ कर देते हैं उसे ही उत्म क्षमा कहेंगे। Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
padmaini shashikant shah Posted September 9 Share Posted September 9 यदि कोई अपने मित्र ने अपने विश्वास को तोड दिया है यानि कि अपने साथ विश्वासघात किया गया है तभी भी हमें अपना मन बड़ा करके अपने अंदर क्षमा का भाव क्षमा भाव धारण करके अपने मित्र को माफ कर देना चाहिए और उसे एक मौका और देना चाहिए, ताकि वह व्यक्ति चाहे कोई भी हो, दोबारा गलती ना करें और क्षमा के महत्व को समझें। Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
सौ. विजयमाला रमेशमिरीकर Posted September 9 Share Posted September 9 यदि पहले मित्र था तो अब भी मित्र दिखता हैं और यदि पहले सामान्य मनुष्य था अर्थात न शत्रु था न मित्र तो अब भी वैसा ही दिखता है। यह गृहस्थ की सच्ची क्षमा। Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
R K Posted September 9 Share Posted September 9 समझा कर दोबारा गलती न करने को कहेंगे Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
निहारिका जैन Posted September 9 Share Posted September 9 आगे से किसी के साथ ऐसा नहीं करने के लिए उसे उसकी गलती का अह्सास कराएगे और समझाएंगे Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Rajkumaar jain Posted September 9 Share Posted September 9 हम जैन हैं हमारे यहाँ नमस्ते नहीं जय जिनेन्द्र बोला जाता है, हम जैन हैं हमारे यहाँ बिना प्याज-लहसून के भी स्वादिष्ट भोजन बनता है, हम जैन हैं हमारे यहाँ पानी फिल्टर करके नहीं छानकर पिया जाता है, हम जैन हैं हमारे यहाँ सब्जी और फलों को काटा नहीं सुधारा या बनाया जाता है, हम जैन हैं हमारे यहाँ सॉरी नहीं उत्तम क्षमा बोला जाता है, हाँ हम जैन हैं हमारी हर समस्या का समाधान णमोकार मंत्र और उत्तम क्षमा है, हम जैन हैं हमारे यहाँ वात्सल्य और भाईचारे का भाव होता है ना कि हिंसा और द्वेष का, तो सोचिए विचारिये क्यूँ आजकल हम आधुनिकीकरण, पाश्चात्य संस्कृति, अभिमान, अकड़ और झूठी शान-शौकत में अपना धर्म और धर्म के नैतिक मूल्यों को भूल रहे हैं? जय जिनेन्द्र 🙏 🙏 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Aayushijain170993 Posted September 12 Share Posted September 12 यदि मित्र ने मेरे विश्वास को तोड़ा है, तो "उत्तम क्षमा" के सिद्धांत के अनुसार, मैं सबसे पहले अपने भीतर की भावनाओं को शांत करने का प्रयास करूंगा। क्रोध या दुख के बजाय, मैं स्थिति को समझने का प्रयास करूंगा कि ऐसा क्यों हुआ। मैं मित्र से संवाद करूंगा ताकि दोनों के दृष्टिकोण स्पष्ट हो सकें। इसके बाद, मैं अपने मन से आक्रोश और द्वेष को छोड़ते हुए सच्चे मन से मित्र को माफ़ कर दूंगा, भले ही वह माफी माँगे या न माँगे। यह माफी बाहरी तौर पर नहीं, बल्कि आंतरिक रूप से होगी, जिससे मेरी मानसिक शांति बनी रहेगी। Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
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