भारत देश में हर 10 वर्ष में राष्ट्रीय जनगणना का कार्यक्रम एक माह तक चलता है। प्रायः फरवरी माह जनगणना के लिये सुनिश्चित रहता है इस बार भी 2021 में फरवरी के माह में जनगणना होगी जन समाज की राष्ट्रीय संस्थाएँ सदैव जैनो की जनसंख्या 1 करोड़ होने का दावा करती रही है, किन्तु जनगणना उपरांत अभी तक जैनो की संख्या एक करोड नहीं हो पाई। शायद शासकीय आकड़ामजना का सख्या कम होने का सबसे बड़ा कारण यह हैं कि जनगणना प्रपत्र में नम्बर का कॉलम धर्म का है सन् 1872 से सन् 2011 तक 15 बार राष्ट्रीय जनगणना हई 1872 में जैनों की संख्या 12.21% होतीथी किन्तु अभी तक यह संख्या कोई 1 करोड़ का आंकड़ा नहीं कर पाई जबकि भारत की जनसंख्या उस
समय.............थी और जैनो की जनसंख्या अकबर के समय 1 करोड़ थी तब यह प्रश्न पैदा होता है किआज भारत की जनसंख्या 132 करोड़ हो चुकी है। तब भी जैनो की संख्या 1 करोड़ नहीं हो पा रही है। बल्कि 2011 में 44.51 लाख रह गई थी जैन धर्मांलंबी अपनी संख्या कम होने का दोष सरकारी तंत्र पर थोपते है। वे अपनी जागरूकता के अभावको इन आंकड़ों की कमी का कारण नहीं मानते है। ____ 2015 में मुनि प्रमाण सागर जी के नेतृत्व में जब संलेखना, संथारा आंदोलन में 76 लाख लोगो ने भाग लिया तब एक आशा की किरण जगी कि जैनो की संख्या भारत देश में निश्चित तौर पर 1 करोड़ से अधिक है परंतु सबसे बड़ी चुनौती यह है क्या जैन समाज के जागरूक वर्ग ने जनगणना के समय अपनी सक्रियता का परिचय देते हुए समस्त जैन समाज को पंथ, संत, जातिवाद से ऊपर उठाकर जैन धर्म की पहचान मिटने से बचाने का प्रयास किया ? यदि हाँ तो अभी से इस दिशा में हमें कार्य प्रारंभ करना होगा, संगठनात्मक रूप से 1 अभियान चलाना होगा कि अब हम न चूकें और धर्म के छठवें कॉलम में जैन लिखाने का हर परिवार तक संदेश भेजे क्योंकि इस बार यदि चूक हुई तो जनगणना प्रपत्र से अगली बार की जनगणना में धर्म के कॉलम से जैन शब्द ही हट सकता है। और फिर हमारे मंदिर और मूर्तियों की उत्सवों की सार्थकता आयोजनों की उपयोगिता कोई मायना नही रखेगी। हम अपने धन और शक्ति को जितना आयोजनों में लगा रहे हैं, उन आयोजन के माध्यम से यदि यह बात प्रसारित कर दी जाये कि जैनियों के लिये 2021 फरवरी का महिना जीवन मरण जैसा प्रश्न है। हम अपने अहिंसा सत्य विश्वशांति विश्वमैत्री सह अस्तित्व जैसी मानवताओं का संचार करने वाले जैन धर्म को जनगणना में आनुपातिक सिद्ध नहीं कर पाये तो निश्चित तौर पर हम कैसे गर्व से कह पायेंगे कि हम जैन है।
उठो जागो और गर्व से कहो हम जैन हैं। जैन कभी पतित नहीं होता है। जैन कभी तिरस्कृत नहीं हुआ है। भगवान महावीर स्वामी के मोक्ष जाने के बाद से आज तक जैन धर्म की पताका गगनचुंबी रही है। जैन धर्मअनुयायियों ने अपने बुद्धि बल, धनबल, समरसता की भावनाओंसे देश के सभी वर्गों को अपनाया है। लेकिन वर्तमान समय में सरकारी आँकड़ों में घटती जनसंख्या हमारे अस्तित्व के लिये चुनौती है। इस चुनौती का सामना हर जैनकोजागरूकता के साथ, एकता के साथ, बड़ेसोच के साथ करना होगा।
हम आपस के मतभेदों को भुलाकर जातिपंथ से ऊपर उठकर मात्र एक परिचय देने में अपनी शक्ति को स्थापित करे और 2021 की जनगणना में धर्म के कॉलम में जैन लिखकर भगवान महावीर के प्रति सच्ची श्रद्धांजली समर्पित करें। ।
साभार
संस्कार प्रवाह संस्कार सागर पत्रिका