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?येलगुल में जन्म - अमृत माँ जिनवाणी से - १८०


Abhishek Jain

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?    अमृत माँ जिनवाणी से - १८०    ?


               "येलगुल में जन्म-१"


           पूज्य आचार्यश्री शान्तिसागरजी महराज के जन्म के बारे में पूज्य वर्धमानसागर जी महराज ने बताया था कि भोजग्राम से लगभग तीन मील की दूरी पर येलगुल ग्राम है। वहाँ हमारे नाना रहते थे। उनके यहाँ ही महराज का जन्म हुआ था। महराज के जन्म की वार्ता ज्ञात होते ही सबको बड़ा आनंद हुआ था।

        ज्योतिष से जन्मपत्री बनवाई गई। उसने बताया था कि यह बालक अत्यंत धार्मिक होगा। जगतभर में प्रतिष्ठा प्राप्त करेगा तथा संसार के प्रपंच में नहीं फसेगा।

      महराज ने यह भी बतलाया था कि आचार्य महराज का शरीर अत्यंत निरोग था। कभी भी इनका मस्तक भी नहीं दुखता था। हाँ, एक बार तीन वर्ष की अवस्था में ये बहुत बीमार हो गए थे। रक्त के दस्त होते थे। उस समय इनका जीवन रहता है या नहीं, ऐसी चिंता पैदा हो गई थी। किन्तु एक बाई ने दवा दी, उससे ये अच्छे हो गए। इसके सिवाय और कोई रोग नहीं हुआ।

      पूज्य शान्तिसागरजी महराज के जन्म आदि के सन् आदि जानकारी स्मरण हेतु प्रसंग क्रमांक १५ देंखें।


?  स्वाध्याय चारित्र चक्रवर्ती ग्रंथ का  ?

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