भगवान् महावीर के दर्शन आज भी अत्यंत समीचीन और प्रासंगिक है पांच महाव्रत सत्य अहिंसा अपरिग्रह अधैर्य ब्रह्मचर्य स्याद् वाद, अनेकांतवाद जो एक विशेष समुदाय के लिए नहीं वरन सम्पूर्ण प्राणीमात्र के लिए है।
भगवान् महावीर की वाणी को गहराई से करें तो प्रत्येक प्राणी सुख शांति से जी सकता है।
जियो और जीने दो 'अहिंसा परमोधर्म:' यही महावीर का सन्देश जो मानवता के लिए आवश्यक है।