महावीर जयंती की आप सभी को बहुत बहुत शुभकामनाए
गुफामें बैठे ध्यानमग्न साधु को खाने के लिए सिंह आक्रमण कर देता है,किन्तु वहीं पर एक जंगली सूअर पूर्वभव के संस्कार वश उनकी रक्षा के लिए सिंह से भिड़ जाता है,आपस में भयंकर भिडंत से दोनों मर जाते है, सूअर मरकर स्वर्ग में देव होता है और सिंह मरकर नर्कत में नारकी बनता है।दोनों के आक्रमण की एक सी क्रिया होने पर भी भावो में अंतर होने से उसका फल अलग- अलग प्राप्त हुआ।
तीर्थंकर महावीर स्वामी का यही सन्देश है कि किसी को मारने या दुःख देने का भाव तो हिंसा है,किसी को बचाने का भाव व पुरुषार्थ अहिंसा है।
जियो ओर जीने दो
जय जिनन्द्र