दसलक्षण पर्व को दसलक्षण पर्व ही बोलें*
आज मैं आप सभी का ध्यान एक बात की ओर आकर्षित करना चाहता हूं।
हम सब लोग हमारे *दसलक्षण पर्व* को *पर्युषण* बोलते हैं, और *पर्यूषण* के नाम से ही जानते हैं। इतना ही नहीं हमारे *दिगंबर जैन समाज के अधिकांश लोग इसे पर्यूषण ही कहते हैं,* जबकि वास्तविकता यह है कि *पर्यूषण श्वेतांबर परम्परा में कहा जाता है, जो 8 दिन के होते हैं। जबकि दिगम्बर परम्परा में दसलक्षण पर्व 10 दिन के होते हैं।* और खास बात यह होती है, कि *जिस दिन हमारे दसलक्षण पर्व प्रारम्भ होते हैं, उस दिन पर्युषण पर्व समाप्त होते हैं।*
*हमारे दिगंबर परम्परा में दसलक्षण पर्व, 10 धर्मो पर आधिरत होते हैं।* इन दस धर्म में *उत्तम क्षमा, उत्तम मार्दव, उत्तम आर्जव, उत्तम शौच, उत्तम सत्य, उत्तम संयम, उत्तम तप, उत्तम त्याग, उत्तम अकिंचन और उत्तम ब्रह्मचर्य होते हैं।* चूंकि हम प्रत्येक दिन एक धर्म की आराधना करते हुए उसे अपने जीवन में अंगीकार करते हैं, और साधना को निरंतर बढ़ाते चले जाते हैं, तो इन्हीं दस धर्मों के कारण इन्हें *दसलक्षण महापर्व* कहा गया है।
तो कृपया निवेदन है कि हम इन्हें दसलक्षण पर्व के नाम से ही संबोधित करें।
सादर
*दिलीप जैन शिवपुरी*
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