दशलक्षण पर्व को पर्यूषण पर्व भी कहते हैं। जिनालय में धर्म की प्रभावना कर क्रोध को छोड़कर, शांत तथा समता को अपना कर, घमंड नहीं करना, अहम को छोड़कर, माया कपट लोभ नहीं करना, सत्य वचन बोलना, इंद्रियों और मन को वश में कर संयम रखना, इच्छाओं को छोड़कर तप व त्याग करना, मन को संतुष्ट करना, परिग्रह का त्याग कर अपने जीवन के मूल्यों को समझना और धर्म ध्यान कर व अपने द्वारा किए गए दोषों को दूर करने के लिए हम इस पर्व पर आराधना करते हैं व अपने जीवन में परिवर्तन लाने का प्रयास करते हैं जिससे वातावरण धर्म ध्यान का बनता है व भावों में परिवर्तन होता हैं।
इस उत्तर में मेरे द्वारा कोई ग़लती हुई हो तो उत्तम क्षमा......... जय जिनेन्द्र