उत्त्तम क्षमा मार्दव आर्जव भाव है,
सत्य शौच संयम तप त्याग उपाव है,
आकिंचन ब्रह्मचर्य धरम दश सार है ,
चहुंगति दुखते काड़ी मुक्ति करतार है ।
यह 10 लक्षण पर्व हमारे आत्म शुद्धि का पर्व है ।
यह पर्व इच्छाओं का दमन और कशायों का शमन करताहै। इसमें प्रारंभ के चार धर्म चार कशायो।से विपरीत है । इन 10 धर्म का आचार्य परमेष्ठी 36 मूल गुनो में सूक्ष्म रूप से पालन करते हैं । श्रावक भी स्थूल रूप से 10 दिनों में इनका पालन करते हैं। यह धर्म हमें चारों गतियां के दुखों से मुक्ति दिलानेमें सहायक है।