
Lyric: भक्तामर स्तोत्र श्लोक 7
त्वत्संस्तवेन भवसंतति सन्निबद्धं।
पापं क्षणात् क्षयमुपैति शरीर भाजाम् ॥
आक्रान्त लोकमलिनीलमशेषमाशु।
सूर्यांशुभिन्नमिव शार्वरमन्धकारम् ॥७॥
पापं क्षणात् क्षयमुपैति शरीर भाजाम् ॥
आक्रान्त लोकमलिनीलमशेषमाशु।
सूर्यांशुभिन्नमिव शार्वरमन्धकारम् ॥७॥