जो पञ्च प्रकार के आचारो का स्वयं पालन करते है और अपने शिष्यों से कराते है ,उन्हें आचार्य परमेष्ठी है । आचार्य मुनिसंघ के नायक होते है । शिष्यों पर अनुग्रह करुनका संग्रह करना , दीक्षा देना तथा प्रायश्चित प्रदान करना उनका मुख्य कार्य है ।
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