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सम्यक ज्ञान के बिनासम्यक दर्शन की उत्पत्ति किस प्रकार हो सकती है


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दर्शन. और ज्ञान मे दर्शन हि पुज्य हे क्योकि सम्यक दर्शन के होने पर हि मिथ्या ज्ञान सम्यक ज्ञान हो जाता हे।अतः पुज्य होने से सम्यक दर्शन को पहले कहा हे।

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सम्यक् दर्शन के अभाव में कितना भी ज्ञान हो,वह मिथ्याज्ञान ही होता है।लेकिन सम्यक् दर्शन होते ही वह ज्ञान सम्यक् ज्ञान हो जाता है।अत:सम्यक् दर्शन के बिना सम्यक् ज्ञान की उत्पत्ति कभी संभव नहीं।

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