admin Posted January 5, 2019 Share Posted January 5, 2019 अतिशय क्षेत्र रैवासा-सीकर राजस्थान नाम एवं पता - श्री दिगम्बर जैन भव्योदय अतिशय क्षेत्र, रैवासा, ग्राम-रैवासा, तह. दाँतारामगढ़, जिला-सीकर पिन - 332403 टेलीफोन - फोन : 01572 - 222115, 09460037999 क्षेत्र पर उपलब्ध आवास - कमरे (अटैच बाथरूम) - 17, कमरे (बिना बाथरूम) - 10 सुविधाएँ हाल - 04(यात्री क्षमता 100), गेस्ट हाऊस - X यात्री ठहराने की कुल क्षमता - 200 भोजनशाला - नियमित, निःशुल्क। औषधालय - है, होम्योपैथिक पुस्तकालय - नहीं विद्यालय - नहीं एस.टी.डी./पी.सी.ओ. - नहीं आवागमन के साधन रेल्वे स्टेशन - गोरीया - 4 कि.मी. बस स्टेण्ड - गोरीया - 4 कि.मी., प्रति आधा घण्टे से रैवासा जाने वाली बस पहुँचने का सरलतम मार्ग - दाँतारामगढ़ रूट पर बस उपलब्ध सीकर एवं गोरीया रेल्वे स्टेशन से क्षेत्र के लिए बस की व्यवस्था है। निकटतम प्रमुख नगर - सीकर शहर - 18 कि.मी. प्रबन्ध व्यवस्था संस्था - श्री दिगम्बर जैन भव्योदय अतिशय क्षेत्र, रैवासा प्रबंध समिति कार्यकारी अध्यक्ष - श्री दीपचन्द काला, सीकर (01572-252802, नि. 9460075570) महामंत्री - श्री नृपेन्द्र कुमार छाबड़ा, जयपुर (9530153534) प्रबन्धक - श्री निहालचन्द सोगानी (094600-37999) क्षेत्र का महत्व क्षेत्र पर मन्दिरों की संख्या : 02 क्षेत्र पर पहाड़ : नहीं - मंदिर के निकट अरावली पर्वत श्रृंखला है। ऐतिहासिकता : राजस्थान की मरुवृन्दावन सीकर नगरी के निकट अरावली पर्वत की श्रृंखला की तलहटी में अपनी भव्यता एवं ऐतिहासिकता को संजोये हुए 'श्री दिगम्बर जैन भव्योदय अतिशय क्षेत्र, रैवासा' विद्यमान है। इसी क्षेत्र में वीर निर्वाण संवत् 1674 में निर्मित भव्य जिनालय में भगवान आदिनाथ की प्रतिमा एवं नसियाँजी में चन्द्रप्रभु भगवान की पद्मासन प्रतिमा विराजमान है। यहाँ रात्रि के समय देवतागण आते हैं। जिनकी नूपुरों की ध्वनि भी सुनाई दी। इसी प्रकार की एक ओर ऐतिहासिकता है कि मुगल बादशाह औरंगजेब ने इस मंदिर के बारे में सुना, उसने उस मंदिर को लूटने का एवं खण्डित करने का प्रयास किया लेकिन श्रावकों को ज्ञान होने पर श्रीजी को तलघर में विराजमान कर दिया। बादशाह के मंदिर के निकट पहुंचने पर मधुमक्खियों द्वारा बादशाह एवं उसके सैनिकों पर हमला करने पर वे सभी भाग खड़े हुए। विशेषता यह भी है कि मंदिर में खम्बों की गिनती कोई भी सही ढंग से नहीं कर पाया। यह भी चमत्कार होने से अनगिनत खम्बे वाले मंदिर के नाम से विख्यात है। एक अद्भुत अतिशय हुआ। चार बार शातिनाथ भगवान की पीतल की मूर्ति चोर ले गये लेकिन कुछ दिनों बाद वह प्रतिमा वापस आकर वेदी पर विराजमान हो गयी। भगवान सुमतिनाथ की अतिशयकारी प्रतिमा भूगर्भ से प्राप्त हुई है। समीपवर्ती तीर्थक्षेत्र - श्री पार्श्वनाथ अतिशय क्षेत्र खण्डेला, खण्डेलवाल जैन उत्पत्ति स्थान-50 कि.मी. आचार्य धर्मसागर महाराज का समाधि स्थल - 20 कि.मी. आचार्य ज्ञानसागर महाराज की जन्म स्थली - रानोली - 8 कि.मी. आपका सहयोग : जय जिनेन्द्र बन्धुओं, यदि आपके पास इस क्षेत्र के सम्बन्ध में ऊपर दी हुई जानकारी के अतिरिक्त अन्य जानकारी है जैसे गूगल नक्षा एवं फोटो इत्यादि तो कृपया आप उसे नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें| यदि आप इस क्षेत्र पर गए है तो अपने अनुभव भी लिखें| ताकि सभी लाभ प्राप्त कर सकें| Link to comment Share on other sites More sharing options...
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