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JainSamaj.World

आज की पहेली 15 सितंबर 2024


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चलते फिरते तीर्थ दिगम्बर,

रखे न जो पैसा आडम्बर ।

णमो लोए श्री सव्वसाहूणं,

कुल मात्रा अब कहो प्रमाणम् ॥

 

किसी से पूछे न - स्वयं गिनती कर लिखें 

 

 

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यह एक जैन मंत्र है, जिसका अर्थ है:

 

"चलते फिरते तीर्थ हैं दिगम्बर (नंगे पैर चलने वाले), जो पैसा और आडम्बर नहीं रखते। मैं नमन करता हूँ सभी श्रेष्ठ आत्माओं को (णमो लोए श्री सव्वसाहूणं)। अब मैं अपनी कुल मात्रा (जीवन का उद्देश्य) को बताता हूँ।"

 

यह मंत्र जैन धर्म के सिद्धांतों को दर्शाता है, जिसमें सादगी, त्याग और आत्म-साक्षात्कार पर जोर दिया जाता है।

Edited by Rajkumaar jain
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यह छंद जैन धर्म के मुनियों की निस्पृहता और सादगी का वर्णन करता है। "चलते फिरते तीर्थ दिगम्बर" का मतलब है कि दिगंबर मुनि स्वयं चलते फिरते तीर्थ हैं, जिनकी उपस्थिति ही तीर्थ के समान है। वे किसी भौतिक धन या आडंबर (दिखावा) में विश्वास नहीं रखते। 

- "णमो लोए श्री सव्वसाहूणं" का अर्थ है कि पूरे संसार के सभी साधुओं को नमस्कार है।
- "कुल मात्रा अब कहो प्रमाणम्" का भाव है कि अब सम्पूर्ण साधु समुदाय को नमस्कार करने के बाद, और किस प्रमाण की आवश्यकता है।

यह छंद जैन मुनियों की सादगी, त्याग, और आडंबर-रहित जीवनशैली की महत्ता को व्यक्त करता है।

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