Prachi Avinash jain Posted September 9 Share Posted September 9 Kyuki yadi hum sirf bahar se chamma karte he to mann main abhi bhi uske prti dwesh khatm nahi hua he aur jab tak ander ka dwesh khatm nahi ho jata to chamma keval bhari chamma he. Isliye jab hum kisi ko mann se chamma kare to wah sahi chamma hogi Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Madhu badjatya Posted September 9 Share Posted September 9 क्षमा केवल बाहरी दिखावा नहीं हैं बाहर से हमने किसी को माफ कर दिया ऐसा बोलने से क्षमा नही होती जब तक अंतरंग से उसके प्रति द्वेष समाप्त नही हो जाता इसीलिए क्षमा केवल बाहरी कार्य नही अंतरंग से सामने वाले के प्रति होने वाले द्वेष को पूर्ण रूप से समाप्त होने पर ही असली क्षमा होती हैं Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
सौ. विजयमाला रमेशमिरीकर Posted September 9 Share Posted September 9 इस प्रकार दिखावटी भाव को क्षमा नहीं कहते। Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
निहारिका जैन Posted September 9 Share Posted September 9 क्योंकि जब तक क्षमा मन से नहीं दी जाएगी तब तक अंदर द्वेष भाव रहेगा और वह कभी-भी क्रोध का रुप धारण कर लेगा Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
padmaini shashikant shah Posted September 9 Share Posted September 9 उत्तम क्षमा जहां मन होई, अंदर बाहर शत्रु न कोई, यानी कि हमारे अंदर से क्षमा भाव रखना होगा और अंत रंग से क्षमा किसी को करना होगा, तोभी वह क्षमा सही मायने में सच्ची क्षमा कहीं जाएगी,इसे मैं अपने पूजा की उपर्युक्त पंक्तियों से स्पष्ट करती हूं। Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Kusum Jain Porwal Posted September 9 Share Posted September 9 क्षमा भाव आंतरिक गुण है बाहर तो दिखावा मात्र है Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Neelima Bharil Posted September 10 Share Posted September 10 क्षमा सबसे बड़ा धर्म है जिसके हृदय में क्षमा होती है उसका अंदर और बाहर कोई शत्रु नहीं होताहै जीवन में प्रगति और और धर्म में मोक्ष प्राप्ति के लिए क्षमा धारण करना जरूरी है🙏🏻 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Rajkumaar jain Posted September 10 Share Posted September 10 *उत्तम क्षमा धर्म* अन्तरंग जिनका पवित्र, मन जिनका निर्मल जल सा, चेहरे पे नहीं जिनके क्लेश, वही है उत्तम क्षमा धर्म का परिवेश और वही है अपनी आत्मा का देश।। क्रोध आग है तो क्षमा शीतल निर्मल नीर। शीतल छांव में सब बैठो, आग से दूर रह 🙏 🙏🙏 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Aayushijain170993 Posted September 12 Share Posted September 12 लेख में यह कहा गया है कि क्षमा केवल बाहरी कार्य नहीं है, बल्कि आंतरिक स्थिति इसलिए है क्योंकि यह व्यक्ति के भीतर की भावनाओं और मानसिकता से जुड़ी होती है। सच्ची क्षमा का अर्थ है क्रोध, आक्रोश और द्वेष को छोड़कर शांति और समझ को अपनाना। यह बाहरी रूप से किसी को माफ़ कर देना ही नहीं, बल्कि मन से भी उसे पूरी तरह स्वीकार करना होता है, जिससे आत्मिक शांति और सकारात्मकता का विकास होता है। Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
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