admin Posted September 8 Share Posted September 8 English: Explain why the article emphasizes that forgiveness is not merely about external actions but about internal states. Hindi: समझाइए कि लेख में यह क्यों कहा गया है कि क्षमा केवल बाहरी कार्य नहीं है, बल्कि आंतरिक स्थिति के बारे में है। प्रतियोगिता समाप्त होने तक आपके उत्तर किसी ओर को नहीं दिखेंगे आप भी किसी के उत्तर नहीं देख पाएंगे ( निबंध नहीं लिखना :2 से 10 लाइन मे लिख सकते हैं 1 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
नीला नलिन शाह Posted September 8 Share Posted September 8 क्षमा वीरस्य भूषणम क्षमा भाव ही हमें शांति प्रदान करता है उससे हमें किसि जीव प्रत्ये वेर भाव नहीं रहता हमारे मनको शांति मिलती है Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Sukhamoy Maji Posted September 8 Share Posted September 8 Kshama is a quality of the soul. It is nothing to do with the body. So, internal state of mind is important here. Khsama can purify our soul only when it arises in our mind. Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Rahul kumar jain 24 Posted September 8 Share Posted September 8 वास्तव में क्रोध है वह भूल जिसके कारण अपनी महिमा अन्तरंग में जागृत होती नहीं । भोगादि सामग्री में अपने सुख का आभास करके अविनाशी शान्ति की अवहेलना करना अनन्ता क्रोध है । ‘परपदार्थों का मैं कुछ कर सकता हूँ और परकी सहायता के बिना मैं कुछ नहीं कर सकता’ ऐसी धारणा के द्वारा अपनी शक्ति का तिरस्कार करना, उसके प्रति अनन्ता क्रोध है Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Rahul kumar jain 24 Posted September 8 Share Posted September 8 वास्तव में क्रोध है वह भूल जिसके कारण अपनी महिमा अन्तरंग में जागृत होती नहीं । भोगादि सामग्री में अपने सुख का आभास करके अविनाशी शान्ति की अवहेलना करना अनन्ता क्रोध है । ‘परपदार्थों का मैं कुछ कर सकता हूँ और परकी सहायता के बिना मैं कुछ नहीं कर सकता’ ऐसी धारणा के द्वारा अपनी शक्ति का तिरस्कार करना, उसके प्रति अनन्ता क्रोध है Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Rajkumaar jain Posted September 8 Share Posted September 8 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Rajkumaar jain Posted September 8 Share Posted September 8 सबसे पहले मेरे ओर से उतम क्षमा भगवान पारसनाथ की एक कहानी से उत्तर दे रहा हूँ 🙏🙏 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Pri6537 Posted September 8 Share Posted September 8 यदि हम बाहरी क्षमा ही करे अंतरंग में द्वेष रखे तो ये तो दिखावटी क्षमा होगी,अतः हमे अंतरंग से द्वेष, बैर भाव और क्रोध को समाप्त कर अंतरंग से क्षमा करना चाहिए।यही वास्तविक क्षमा होती हैं। Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
BhavikaJain Posted September 8 Share Posted September 8 Forgiveness is given by the mind. Forgiveness comes from the feelings. True forgiveness is to not keep any kind of malice for anyone in your mind. As Bhagwan Mahavir has said 'Kshma Veerasya Bhushnam'. The more forgiving a person is, the more patient, brave and serious he is. Forgiveness means not keeping any kind of resentment in your mind. Forgiveness is what makes our feelings pure. The more stable a person is in his mind , the more forgiving he will be. Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
divyajain Posted September 8 Share Posted September 8 Kshma koi bahari dikhava nahin ek aantrik Shakti hai. Shakti ke abhav mein kshma kar dena dikhavati kshma hai. Divesh ke abhav mein ki gai kshma hi kshma hai. Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
R K Posted September 8 Share Posted September 8 जब तक अन्दर से शांति नही होगी तब तक क्षमा बनावटी होगी इसलिए हमे अपने अन्दर से क्षमा भाव जाग्रत करने की अवश्यकता है Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Pravina Shah Posted September 8 Share Posted September 8 Kshama केवल दिखावे के लिए नही दिनी जाहिए परंतु अपने मनमें द्वेस्न ना रखकर प्रित्ती रखकर देनी चाहिए Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Mehakan Jain Posted September 8 Share Posted September 8 जब हम मन से किसी को क्षमा करेंगे तभी हमारा जीवन शांतिपूर्ण ढंग से चल पाएगा और हम खुश रह पाएंगे। अंदर से सरल ह्रदय वाला व्यक्ति ही आंतरिक क्षमा कर सकता है। बिना इसके मोक्ष की प्राप्ति संभव नहीं है। Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
रूबी जैन Posted September 8 Share Posted September 8 इसका मतलब है बाहर से क्षमा कर दिए लेकिन अंदर से बदले की भावना रख Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
tilakmati sethi Posted September 8 Share Posted September 8 क्योंकि क्षमा व्यक्ति के अंदर से आती है, जब तक अंदर से क्षमा नहीं किया जाता वह उत्तम क्षमा नहीं मानी जाती है। Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Vidya mhetre Posted September 8 Share Posted September 8 🙏हमारे साथ जो भी घटित होता है उसका कारण हम स्वयं ही होते है। Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Savita jain 02 Posted September 8 Share Posted September 8 Uttam kshma dharm sarbopari dharam h Uttam kshma se krodh ko jeeta jata h Yeh kewal bahari karya nhi h Isse antarng roop me badlaw hota h Uttam kshma pratham dharam hota h Kshma dharm se bair duesh ka ant hota h Kshma veerasya bhoosnam Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Jinagya jain Posted September 8 Share Posted September 8 वास्तविक क्षमा का अर्थ है द्वेष से रहित क्षमा! जो व्यक्ति अंतरंग से क्रोध को शांत कर लेता है! वही सही क्षमा को धारण करता है! अंतरंग में ही शांति है और उसका भंग ना होना सिर्फ़ हमारे ऊपर निर्भर है! दूसरो पर nhinhi Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Rekha J Posted September 8 Share Posted September 8 जिनके अंतरंग में क्षमा भाव होता है उनके शरीर पर किए हुए उपसर्ग से द्वेषता का भाव नहीं आता चाहे कोई उन्हें गली दे या क्षति पहुंचाए क्षमा वीर भूषण Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Tejal Shah Posted September 8 Share Posted September 8 क्रोध करने से कषाय का भाव आ जाता है। शात भाव रखने में कषाय भाव में मंदता आती है। Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
016_AkshayJain Posted September 8 Share Posted September 8 Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
KOPAL JAIN Posted September 8 Share Posted September 8 जय जिनेंद्र हमनेजाना सिर्फ उत्तमक्षमा कह देने से सच्ची क्षमा नहीं होती क्षमा तो हृदयमें धारण होनी चाहिए Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
KOPAL JAIN Posted September 9 Share Posted September 9 बाहर से तो हम लोभ,भय, मायाचारी, स्वार्थ आदि के कारण क्षमा भाव धारण करते हैं लेकिन अंदरसे चारों कषायों का त्याग करना ही सही अर्थों में क्षमा है Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Sarita Jain Sagar Posted September 9 Share Posted September 9 क्षमा अंदर से होती है बाहर से क्षमा करना तो दिखावटी होती है Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
Archana Lohade Posted September 9 Share Posted September 9 क्षमा कयी प्रकार की है। क्षमा करते वक्त अपने भाव कैसे है यह महत्व रखता है। अगर मन में द्वेष है,राग है ओर हम उपर से कह रहे जा मैंने तुझे माफ कर दिया तो यह गलत व्यवहार है। क्यों कि मन में तो उसके लिए क्रोध है और जहां क्रोध है वहा क्षमा कैसे आयेंगी। क्षमा अंतरंग मे रहने से ही क्रोध से छुटकारा मिलेगा। Quote Link to comment Share on other sites More sharing options...
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