Jump to content
फॉलो करें Whatsapp चैनल : बैल आईकॉन भी दबाएँ ×
JainSamaj.World
  • entries
    284
  • comments
    3
  • views
    14,344

परम आत्मा के ज्ञान के स्थान का कथन


Sneh Jain

349 views

आचार्य योगिन्दु कहते हैं कि जिस प्रकार मंडप के आश्रय के अभाव में बेल मुडकर स्थित हो जाती है उसी प्रकार मुक्ति को प्राप्त हुआ जीव ज्ञान-ज्ञेय के आलंबन के अभाव में प्रतिबिम्बित हुआ लोकाकाश में स्थिर हो जाता है। देखिये इससे सम्बन्धित दोहा -

 

47.     णेयाभावे विल्लि जिम थक्कइ णाणु वलेवि

        मुक्कहँ जसु पय बिंबियउ परम-सहाउ भणेवि ।।

 

अर्थ -  बेल की तरह मुक्ति को प्राप्त हुए जिस जीव का ज्ञान- ज्ञेय के (आलम्बन के) अभाव में लौटकर (तथा) परम स्वभाव का प्रतिपादन करके (इस लोकाकाश में) प्रतिबिम्बित हुआ स्थिर हो जाता है, (वह ही परम- आत्मा है।)

शब्दार्थ - णेयाभावे-ज्ञेय के अभाव में, विल्लि-बेल, जिम-की तरह, थक्कइ-स्थिर हो जाता है, णाणु-ज्ञान, वलेवि-लौटकर,मुक्कहँ -मुक्त हुओं का जसु -जिस,पय-जीव,बिंबियउ -प्रतिबिम्बित हुआ, परम-सहाउ-परम स्वभाव को, भणेवि-प्रतिपादित करके।

0 Comments


Recommended Comments

There are no comments to display.

Guest
Add a comment...

×   Pasted as rich text.   Paste as plain text instead

  Only 75 emoji are allowed.

×   Your link has been automatically embedded.   Display as a link instead

×   Your previous content has been restored.   Clear editor

×   You cannot paste images directly. Upload or insert images from URL.

  • अपना अकाउंट बनाएं : लॉग इन करें

    • कमेंट करने के लिए लोग इन करें 
    • विद्यासागर.गुरु  वेबसाइट पर अकाउंट हैं तो लॉग इन विथ विद्यासागर.गुरु भी कर सकते हैं 
    • फेसबुक से भी लॉग इन किया जा सकता हैं 

     

×
×
  • Create New...