Jump to content
फॉलो करें Whatsapp चैनल : बैल आईकॉन भी दबाएँ ×
JainSamaj.World
  • entries
    284
  • comments
    3
  • views
    14,344

शरीर और आत्मा के दृढ़ सम्बन्ध का सीधे साधे शब्दों में कथन


Sneh Jain

445 views

आचार्य योगिन्दु परमात्मप्रकाश के 44 वें दोहे में कहते हैं कि आत्मा वह है जिसे कोई भी जीव नकार नहीं सकता। आत्मा की अनुभूति चाहे बिना निर्मल मन के संभव नहीं किन्तु उसके अस्तित्व की बात को साधारण मनुष्य भी आचार्य योगिन्दु के इस दोहे में कथित शब्दों से आसानी से समझ सकता है।  आचार्य आत्मा के अस्तित्व के साथ शरीर के साथ आत्मा का दृढ़ सम्बन्ध बताते हुए कहते हैं कि यह इन्द्रिय रूपी गाँव अर्थात हमारा शरीर जब तक ही है तब तक इसका सम्बन्ध आत्मा से जुड़ा हुआ है। लेकिन जैसे ही इसका आत्मा से सम्बन्ध टूट जाता है, यह शरीर भी पूरी तरह से निष्क्रिय हो जाता है। वैसे ही शरीर के बिना मुक्त आत्मा को छोड़कर सांसारिक आत्मा का कोई अस्तित्व नहीं है। देखते हैं इसी से सम्बन्धित दोहा -

44      देहि वसंते जेण पर इंदिय-गामु वसेइ

        उव्वसु होइ गएण फुडु सो परमप्पु हवेइ।।

शब्दार्थ - देहि-देह में, वसंते -बसते हुए होने के कारण, जेण-जिससे, पर-परन्तु, इंदिय-गामु-इन्द्रियरूपी गााँव, वसेइ-बसता है, उव्वसु-उजाड़, होइ-हो जाता है, गएण-निकल जाने के कारण, फुडु-निश्चय ही, सो - वह, परमप्पु-परम आत्मा, हवेइ-होता है।

0 Comments


Recommended Comments

There are no comments to display.

Guest
Add a comment...

×   Pasted as rich text.   Paste as plain text instead

  Only 75 emoji are allowed.

×   Your link has been automatically embedded.   Display as a link instead

×   Your previous content has been restored.   Clear editor

×   You cannot paste images directly. Upload or insert images from URL.

  • अपना अकाउंट बनाएं : लॉग इन करें

    • कमेंट करने के लिए लोग इन करें 
    • विद्यासागर.गुरु  वेबसाइट पर अकाउंट हैं तो लॉग इन विथ विद्यासागर.गुरु भी कर सकते हैं 
    • फेसबुक से भी लॉग इन किया जा सकता हैं 

     

×
×
  • Create New...