आत्मा का लक्षण
आचार्य योगीन्दु सभी जीवों को सुख और शान्ति के मार्ग पर अग्रसर करना चाहते हैं, और यह सुख-शान्ति का मार्ग बिना आत्मा को पहचाने सम्भव नहीं है। अतः आत्मा पर श्रृद्धान कराने के लिए विभिन्न- विभिन्न युक्तियों से आत्मा के विषय में बताते हैं। इस 31वें दोहे में आत्मा का लक्षण बताया गया है -
31 अमणु अणिंदिउ णाणमउ मुत्ति-विरहिउ चिमित्तु ।
अप्पा इंदिय-विसउ णवि लक्खणु एहु णिरुत्तु ।।
अर्थ - आत्मा, मन रहित, इन्द्रिय रहित, मूर्ति (आकार) रहित, ज्ञानमय (और) चेतना मात्र है, (यह) इन्द्रियों का विषय नहीं है। (आत्मा का) यह लक्षण बताया गया है।
शब्दार्थ - अमणु-मन रहित, अणिंदिउ-इंद्रिय रहित, णाणमउ-ज्ञान सहित, मुत्ति-विरहिउ-मूर्ति रहित, चिमित्तु-चेतना मात्र, अप्पा- आत्मा, इंदिय-विसउ- इन्द्रियों का विषय, णवि-नहीं, लक्खणु-लक्षण, एहु- यह, णिरुत्त-बताया गया है।
0 Comments
Recommended Comments
There are no comments to display.