मोक्ष गाामी कौन है ?
आचार्य योगीन्दु मोक्षगामी का लक्षण बताते हुए कहते हैं कि मोक्ष में जाना कोई कठिन काम नहीं है। मोक्ष में जाने के लिए मात्र राग और द्वेष दोनों को छोड़कर और सभी जीवों को एक समान समझकर समभाव में स्थित होना पड़ता है। देखिये इससे सम्बन्धित दोहा -
100. राय-दोस बे परिहरिवि जे सम जीव णियंति।
ते सम-भावि परिट्ठिया लहु णिव्वाणु लहंति।।
अर्थ - जो राग और द्वेष दोनों को छोड़कर (सभी) जीवों को एक समान समझते हैं, समभाव में स्थित हुये वे शीघ्र्र मोक्ष को प्राप्त करते हैं।
शब्दार्थ -राय-दोस- राग और द्वेष, बे-दोनों को, परिहरिवि -छोड़कर, जे-जो, सम-एक समान, जीव-जीवों को, णियंति-समझते हैं, ते-वे, सम-भावि -समभाव में, परिट्ठिया-स्थित हुए, लहु -शीघ्र,णिव्वाणु -मोक्ष को, लहंति-प्राप्त करते हैं।
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