कुछ अंश छूट जाने के कारण क्रमशः
मोक्ष अधिकार समाप्त हुआ है। मोक्ष अधिकार के अन्तिम 107दोहे में ब्रह्मदेव ने अपनी टीका में लिखा है के इस तरह मोक्षमार्ग, मोक्ष फल और मोक्ष इन तीनों को कहनेवाले दूसरे महाधिकार में चार अन्तरस्थलों का इकतालीस दोहों का महास्थल समाप्त हुआ।
3. महाधिकार
तीसरे महाधिकार के प्रारम्भिक एक सौ आठवें दोहे में ब्रह्मदेव ने लिखा है कि आगे ‘पर जाणंतु वि’ एक सौ सात दोहा पर्यन्त तीसरा महाधिकार कहते हैं और उसी में ग्रंथ को समाप्त करते हैं। यहाँ ब्रह्मदेव ने पूर्व के दो अधिकारों के समान तीसरे अधिकार का नाम नहीं दिया। इस अधिकार की रचना मुख्यरूप साधु के लिए ही की गई है। मोक्ष के कथन के पश्चात् आगे के समस्त दोहे साधु के जीवन से ही सम्बन्धित रखते हैं।
आज हमने आचार्य योगिन्दु एवं परमात्मप्रकाश के विषय में जानकारी प्राप्त की। आगे के ब्लाँग में हम परमात्मप्रकाश के मंगलाचरण से ग्रंथराज का शुभारंभ करेंगे।
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