रामकथा के मुख्य पात्रों के पूर्वभव व भविष्य कथन
पउमचरिउ में वर्णित मुख्य पात्रों का पूर्वभव व भविष्य कथन जैनधर्म के कर्मसिद्धान्त पर प्रकाश डालता है। हम इस पर थोड़ा ध्यान से विचार करें तो हम समझ सकेंगे कि राम,रावण, सीता व लक्ष्मण का सम्बन्ध एक जन्म का नहीं है। उनका यह सम्बन्ध पूर्व भवों से उनके कर्मों के आधार पर चला आ रहा है और आगे भी चलता रहेगा। जैन दर्शन के कर्म सिद्धान्त को इससे भलीभाँति समझा जा सकता है। i
पूर्वभव कथन
राम - वणिकपुत्र धनदत्त, स्वर्ग में देव, पंकजरुचि नामक वणिकपुत्र, ईशान स्वर्ग में देव, कनकप्रभनामक राजपुत्र, महेन्द्रस्वर्ग में देव, श्रीचन्द्र राजपुत्र, ब्रह्मलोक स्वर्ग में इन्द्र, दशरथ पुत्र राम, उसी भव में सिद्धत्व प्राप्त करना।
लक्ष्मण - वणिकपुत्र वसुदत्त, हिरण, महिष, वराह, बैल, श्रीभूति पुराहित, स्वर्ग में देव, दशरथपुत्र लक्ष्मण।
रावण - वणिकपुत्र श्रीकान्त, हिरण, महिष वराह, बैल, प्रभासाकुन्द राजपुत्र, सनत्कुमारदेव, रत्नाश्रवपुत्र रावण।
सीता - गुणवती, तिर्यंचगति, वेदवतीनामक पुत्री, जनकनन्दिनी सीता।
सुग्रीव - बैल, वृषभध्वज राजपुत्र, ईशानस्वर्ग में देव, किष्किंधानरेश सुग्रीव,।
भामंडल - गुणवती का भाई गुणवान।
विभीषण - पंडित यज्ञबलि।
भविष्य कथन
दशरथ - तेरहवें स्वर्ग में
अपराजिता, कैकेयी, सुप्रभा - देवगति।
लवण व अंकुश - सिद्धगति
भामण्डल - भोगभूमि में जन्म लेना।
सीता - चक्रवर्ती, वैजयन्त स्वर्ग में देव, तीर्थंकर रावण का गणधर
रावण - सुंदर नामक गृहस्थ का अरहदासनामक पुत्र, सीता के जीव चक्रवर्ती का इन्द्ररथ नामक पुत्र, देव योनियों में भ्रमण, तीर्थंकर।
लक्ष्मण - सुंदर गृहस्थ का ऋषिदासनामक पुत्र, सीता के जीव चक्रवर्ती का अंभोजरथ नामक पुत्र, पुष्करद्वीप के शतपत्रध्वज नगर का चक्रवर्ती, तीर्थंर, निर्वाण
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