द्रव्यों का ज्ञान ही शान्ति का मार्ग है
समस्त द्रव्यों के बारे में मूलभूत जानकारी देने के बाद आचार्य योगिन्दु स्पष्टरूप से कहते हैं कि प्रत्येक द्रव्य के मूल स्वभाव को समझकर ही दुःख व सुख के कारणों को समझा जा सकता है। तभी दुःख के कारणों से बचकर तथा सुख के कारणों में लगकर ही शान्ति के मार्ग से श्रेष्ठ लोक मोक्ष में जाया जा सकता है। देखिये इससे सम्बन्धित आगे का दोहा -
27. दुक्खहँ कारणु मुणिवि जिय दव्वहँ एहु सहाउ।
होयवि मोक्खहँ मग्गि लहु गम्मिज्जइ पर-लोउ।।
अर्थ - हे जीव! द्रव्यों के इस स्वभाव कोे दुःख का कारण जानकर मोक्ष के मार्ग में होकर शीघ्र परलोक जाया जाता है।
शब्दार्थ - दुक्खहँ-दुःख का, कारणु-कारण, मुणिवि -जानकर, जिय-हे प्राणी! दव्वहँ - द्रव्य के, एहु-इस, सहाउ-स्वभाव को, होयवि-होकर, मोक्खहँ -मोक्ष के, मग्गि - मार्ग में, लहु -शीघ्र, गम्मिज्जइ-जाया जाता है, पर-लोउ-परलोक।
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