आगे सम्यक्ज्ञान व चारित्र का कथन किये जाने की सूचना
आचार्य योगिन्दु ने द्रव्यों के कथन के साथ पिछले दोहों में सम्यग्दर्शन के कथन को पूरा किया। अब वे सिद्धत्व की प्राप्ति के लिए सम्यग्ज्ञान व चारित्र का कथन करेंगे। इसी सूचनात्मक कथन से सम्बन्धित देखिये इनका अग्रिम दोहा -
28. णियमे ँ कहियउ एहु मइँ ववहारेण वि दिट्ठि।
एवहि ँ णाणु चरित्तु सुणि जे ँ पावहि परमेट्ठि।।
अर्थ -. नियमपूर्वक मेरे द्वारा व्यवहार (नय) से यह ही (सम्यक्) दर्शन कहा गया। अब तू ज्ञान और चरित्र को सुन, जिससे तू परम पूज्य (सिद्धत्व) को प्राप्त करे।
शब्दार्थ -णियमे ँ -नियमपूर्वक, कहियउ-कहा गया, एहु -यह, मइँ-मेरे द्वारा, ववहारेण-व्यवहार से, वि-ही, दिट्ठि-दर्शन, एवहि ँ - अब, णाणु -ज्ञान, चरित्तु -चरित्र को, सुणि -सुन, जे ँ - जिससे, पावहि - प्राप्त करे, परमेट्ठि- परमपूज्य ।
0 Comments
Recommended Comments
There are no comments to display.