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संसार भ्रमण का कारण द्रव्य ही हैं


Sneh Jain

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द्रव्यों का संक्षिप्त में स्पष्टरूप से कथन करने के बाद आचार्य योगिन्दु कहते हैं कि जीवों की क्रिया का कारण ये द्रव्य ही हैं। इन द्रव्यों के फलस्वरूप ही जीव विभिन्न प्रकार के कर्म करते हैं। इन कर्म के कारण ही जीव चारों गतियों के दुःखों को सहन करते हुए संसार में भ्रमण करते हैं। देखिये इससे सम्बन्धित अग्रिम दोहा -

26.     एयइँ दव्वइँ देहियहँ णिय-णिय-कज्जु जणंति।

        चउ-गइ-दुक्खु सहंत जिय ते संसारु भमंति।।26।।

अर्थ - ये द्रव्य जीवों के लिए अपने- अपने कार्य को उत्पन्न करते हैं। उस कारण से जीव चारों गतियों के दुःख को सहते हुए संसार में भ्रमण करते हैं।

शब्दार्थ - एयइँ - ये, दव्वइँ-द्रव्य, देहियहँ-जीवों के लिए, णिय-णिय-कज्जु- अपने-अपने कार्य को, जणंति- उत्पन्न करते हैं, चउ-गइ-दुक्खु- चारों गतियों के दुःख को, सहंत-सहते हुए, जिय-जीव, ते - उस कारण से, संसारु-संसार में, भमंति-भ्रमण करते हैं।

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