पर द्रव्य क्या है ?
आचार्य योगीन्दु हमें समझाते हैं कि आत्म द्रव्य के अतिरिक्त वे पर द्रव्य कौन-कौन से हैं जिनमें हमें मति नहीं करनी चाहिए। आत्म पदार्थ से पृथक् अचेतन पदार्थ हैं - पुद्गल, धर्म, अधर्म, आकाश और काल, (इन) पाँचों को पर द्रव्य जानो। देखिये इससे सम्बन्धित आगे का दोहा -
113 जं णियदव्वहँ भिण्णु जडु तं पर-दव्वु वियाणि।
पुग्गलु धम्माधम्मु णहु कालु वि पंचमु जाणि।।
अर्थ -जो आत्म पदार्थ से पृथक् अचेतन (पदार्थ) हैं, उनको पर द्रव्य जानो। पुद्गल, धर्म, अधर्म, आकाश और काल, (इन) पाचैं को पर द्रव्य जानो।
शब्दार्थ - जं-जो, णियदव्वहँ-आत्म पदार्थ से, भिण्णु -पृथक, जडु-अचेतन, तं-उसको, पर-दव्वु-पर द्रव्य, वियाणि-जानो,, पुग्गलु- पुद्गल, धम्माधम्मु -धर्म और अधर्म, णहु-आकाश, कालु -काल, वि-और, पंचमु -पाँचों को, जाणि-जानो।
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