आत्मा का सम्बन्ध चेतन अवस्था से है द्रव्यों से नहीं
आचार्य योगीन्दु कहते हैं कि आत्मा का जब मूढ स्वभाव नष्ट हो जाता है और आत्मा का ज्ञान गुण विकसित होने लगता है तब व्यक्ति को समझ में आता है कि आत्मा का सम्बन्ध मात्र उसके चेतन स्वभाव से है, द्रव्यों से नहीं है। देखिये इससे सम्बन्धित आगे का दोहा -
92. पुण्णु वि पाउ वि कालु णहु धम्माधम्मु वि काउ।
एक्कु वि अप्पा होइ णवि मेल्लिवि चेयण-भाउ।।
अर्थ -आत्मा चेतन स्वभाव को छोडकर पुण्य और पाप, और काल, आकाश, धर्म, अधर्म और शरीर (इनमें से) एक भी नहीं है।
शब्दार्थ - पुण्णु-पुण्य, वि-और, पाउ-पाप, वि-और, कालु-काल, णहु-आकाश, धम्माधम्मु-धर्म और अधर्म, वि-और, काउ-शरीर, एक्कु-एक, वि-भी, अप्पा -आत्मा, होइ-है, णवि-नहीं, मेल्लिवि-छोड़कर, चेयण-भाउ-चेतन स्वभाव को।
0 Comments
Recommended Comments
There are no comments to display.