Sushma Nayan Jain
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Jinvani
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दस लक्षण पर्व ऑनलाइन महोत्सव
शांति पथ प्रदर्शन (जिनेंद्र वर्णी)
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समरंभ समारंभ आरंभ के ३ × मन वचन काय के 3 × कृतकारित अनुमोदना के 3 =२७ × क्रोध मान माया लोभ के ४
ऐसे २७×४=१०८ बार रोजाना अपने से पाप होते है इसलिये 108 बार जाप करते है |
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आनंतानुबंधी_ क्रोध, मान, माया व लोभ
अप्रत्याख्यानावरण _क्रोध ,मान ,माया व लोभ
प्रत्याख्यानावरण _क्रोध, मान, माया व लोभ
संज्वलन _क्रोध ,मान ,माया,व लोभ
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आदि पुराण के रचयिता जिनसेन आचार्य है |
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अरिहंत परमेष्ठी ४८ मूलगुण
सिद्ध परमेष्ठी८ मूलगुण
आचार्य परमेष्ठी ३६ मूलगुण
उपाध्याय परमेष्ठी २५ मुलगुण
साधू परमेष्ठी २८ मुलगुण
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ॐ नमः सिद्धेभ्यः |
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Ekatva bhavna
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Ekatva bhavna
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आपअकेला अवतरे, मरे अकेला होय |
यो कबहूँ इस जीव को,साथी सगा न कोय ||
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१ संकल्पी हिंसा
२ आरंभी हिंसा
३ उद्योगी हिंसा
४ विरोधी हिंसा
पहेली सुझाव
In जैन धर्म पहेली
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Ji ha