नाम या प्रशंशा की चाह ऐसी मदिरा है जो इसका आदी हो जायेगा वो अपना सब कुछ बर्बाद कर देगा चाहें वो मन की शांति हो या परिवार की शांति।जिस किसी को भी इसकी लत लग जाती है वो बिना कुछ सोचे समझे कहीं भी अपना धन और समय बर्बाद करता है और अगर उस काम की प्रशंशा न हो तो मन विचलित हो जाता है । इसीलिए कोई भी कार्य निस्वार्थ भाव से करना चाहिए ताकि आप सकारात्मक सोच सको।