हम 10 लक्षण पर्व क्यों मनाते हैं –
हमारे भारतीय समाज में जैसे रक्षाबंधन, दिवाली, होली इत्यादि पर्व मनाए जाते हैं इसमें लोग राखी बांधने, दीपक जलाने, लड्डू खाने, खीर खाने, इत्यादि कार्य करते हैं किंतु जैन पर्वों में 10 लक्षण धर्म का संबंध खाने और खेलने से न होकर त्याग और संयम की आराधना करना है। यह महापर्व जीव के त्रैकालिक और शाश्वत महापर्व कहे जाते हैं जो आत्मा के क्रोध आदि विकारों के अभाव के फल स्वरुप प्रकट होने वाले उत्तम क्षमा आदि भावों से संबंध रखते हैं। 10 लक्षण महापर्व संप्रदाय विशेष का नहीं इसे प्रत्येक व्यक्ति मना सकता है क्योंकि इसका मुख्य उद्देश्य अपने विकारी भावों का परित्याग कर उदात्त भावों को ग्रहण करना है। यह पर्व प्राणी मात्र का है इसका कारण है कि जगत के सभी प्राणी जो दुखों से डरते हैं और सुखी होना चाहते हैं उनके लिए है यह पर्व उत्तम क्षमा, मार्दव, आर्जव, सत्य, शौच, संयम, तप, त्याग, अकिंचन, ब्रह्मचर्य इन धर्म के 10 लक्षणों के रूप में मनाया जाता है। क्रोध आदि भाव दुख के कारण है और स्वयं दुख रूप है अतः दुख से डरने वाले सभी जीवो को क्रोध आदि के त्याग रूप उत्तम क्षमादि भाव जो सुख का कारण है और स्वयं सुख रूप है परम आराध्य हैं।
यह पर्व वर्ष में तीन बार आता है भादो सुदी पंचमी से चौदस तक, माघ सुदी पंचमी से चौदस तक, चैत सुदी पंचमी से चौदस तक।
धर्म के इन लक्षणों को जीवन में उतरने से अपने मनुष्य जीवन को सार्थक किया जा सकता है।
ममता जैन जिला फिरोजाबाद उत्तर प्रदेश