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Abhishek Jain

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दस लक्षण पर्व ऑनलाइन महोत्सव

शांति पथ प्रदर्शन (जिनेंद्र वर्णी)

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  1. जय जिनेन्द्र बंधुओं,

    आज भाद्रपद शुक्ल द्वितीया तिथि है।  इस तिथि में परम उपकारी, चारित्र चक्रवर्ती परम पूज्य आचार्यश्री शांतिसागर जी महाराज ने उत्कृष्ट समाधिपूर्वक अपनी मनुष्य देह त्याग करके स्वर्गारोहण किया था।

    परम पूज्य आचार्यश्री शांतिसागर जी महाराज बहुत उत्कृष्ट साधक थे। उनके जैन संस्कृति पर उपकारों को शब्दों में व्यक्त करना संभव नहीं। उन्होंने बहुत ही कठिन परिस्थितियों में भी मुनि परंपरा को जीवंत किया।

    आज हम सभी वर्तमान में मुनिराजों के दर्शन व उनको श्रवण करने का जो लाभ प्राप्त कर रहे हैं यह पूज्यश्री का उपकार है।

    नियमित प्रसंग भेजने का मेरा उद्देश्य भी यह है कि हम सभी जैन श्रावक अपने परम उपकारी को जाने तथा उनकी गुण महिमा को हमेशा स्मरण रख अपना कल्याण करें।

    पूज्य आचार्यश्री शांतिसागर जी महाराज के समाधिदिवस पर मैं सभी से यही अपेक्षा रखता हूँ कि हम आज  सभी उनकी भक्ति पूर्वक पूजन करें, उनके बारे में पढ़े तथा उनके जीवन चरित्र चरित्र चक्रवर्ती ग्रंथ को पढ़ने के लिए संकल्पित हों।

    परम पूज्य आचार्यश्री शांतिसागर जी महाराज की जय

    अभिषेक जैन

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  2. जय जिनेन्द्र बंधुओं,


      आज  २६ मार्च, दिन शनिवार, चैत्र कृष्ण नवमी शुभ तिथि को विश्व का एक बहुत ही महान दिवस है।

    चैत्र कृष्ण नवमी शुभ तिथि को इस युग के प्रथम आदिब्रम्हा देवादिदेव श्री १००८ ऋषभदेव भगवान का जन्म व तप कल्याणक पर्व है।

     

    • प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव का जन्म कल्याणक पर्व पूरे विश्व में जितने भी धूमधाम के साथ मनाया जाए कम है। भगवान ऋषभदेव से ही इस युग में मोक्षमार्ग प्रशस्त हुआ। उन्होंने ही असि, मसि, कृषि आदि शिक्षाएँ देकर मानवता को जीवन यापन करना सिखाया।
    • हम जैन श्रावकों को प्रतिवर्ष भगवान ऋषभदेव जन्म कल्याणक पर्व सभी नगरों में अत्यंत ही प्रभावना के साथ मनाना चाहिए।
    • जब तक हम जैन श्रावकों को ही ऋषभदेव भगवान के जन्म कल्याणक के प्रति उत्साह नहीं होगा, विश्व कैसे जान पाएगा उनके उपकारी आदिब्रम्हा को?
    • इस दिन अत्यंत भक्तिभाव से भगवान ऋषभदेव की पूजन कर जन्म कल्याणक पर्व मनाना चाहिए।
    • प्रत्येक नगर में प्रभावना जुलूस का आयोजन होना चाहिए। इस शुभ अवसर पर अनेक जन कल्याण की सामाजिक गतिविधियों को आयोजन करना चाहिए।
    • एक दिन पहले से हम श्रावकों में भगवान के जन्म कल्याणक पर्व  की बधाइयाँ व शुभकामनाएँ प्रेषित करना चाहिए क्योंकि भगवान का नाम स्मरण भी जीव का कल्याण करता है तथा यह जन जागृति व प्रभावना का भी माध्यम होता है।

    🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃
    *चैत्र वदी नवमी दिना,
    जन्मा श्री भगवान।
    सुरपति उत्सव अतिकरा,
    मैं पूजूँ धरि ध्यान।।
    🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃

          🌤️ ऋषभदेव भगवान की जय🌤️
    🌤️ जन्म व तप कल्याणक पर्व की जय🌤️

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