जगन्माता ख्याता जिनवर मुखां भोज उदिता;
भवानी कल्याणी मुनि मनुज मानी प्रमुदिता.
महा देवी दुर्गा दरनि दुःख दाई दुरगती;
अनेका एकाकी द्व्य्युत दशांगी जिन-मती.
कहें माता तो को यद्यपि सबही अनादि निधना;
कथचित् तो भी तू उपजि विनशै यों विवरना.
धरैं नाना जन्म प्रथम जिनके बाद अबलों;
भयो त्यों विच्छेद प्रचुर तुव लाखों बरस लों.
महावीर स्वामी जब सकल ज्ञानी मुनि भये;
बिडौजा के लाये सम्व-सृत में गौतम गये.
तबै नौका रूपा भव जलधि मांही अवतरी;
अरुपा निर्वर्णा विगत भ्रम सांची सुख कारी.
धरैं हैं जे प्राणी नित जननि तो को ह्रदय में,
करें हैं पूजा व मन बचन काया कहि नमें.
पढ़ावें देवें जो लिखि लिखि तथा ग्रन्थ लिखवा;
लहें ते निश्चय सों अमर पदवी मोक्ष अथवा.