वर्धमान ललना से कहे
वर्धमान ललना से कहे त्रिशला माता
लाल मेरे शादी क्यों नहीं रचाता...॥टेक॥
बोले मुस्कुराते वीरा, सुनो मेरी माई
कितनी ही बार मैने शदियां रचाई
शादियां रचाई फ़िर भी हो sss, शादियां रचाई फ़िर भी,
पाई नहीं साता, इसीलिये माता.. ।१।
बोले मुस्कुराते वीरा, जगत के सहारे
नेमिनाथ हैं ये सच्चे साथी हमारे
उन मूक प्राणियों का हो sss, उन मूक प्राणियों का हो
रुदन है बुलाता, इसीलिये माता.. ।२।
बोले मुस्कुराते वीरा, सुनो मेरी माई
नरभव में उम्र हमने थोडी कमाई
भव-भव का दुख भैया हो sss, भव-भव का दुख भैया
सहा नहीं जाता, इसीलिये माता... ।३।
सुनो मैया आतम का, बन के पुजारी
तोडूंगा कर्मों की जंजीर सारी
राजपाट वैभव ये हो sss, राजपाट वैभव ये
कुछ न सुहाता, इसीलिये माता...।४।