हे जिनवाणी माता! तुमको लाखों प्रणाम,तुमको क्रोड़ों प्रणाम
शिवसुखदानी माता! तु्मको लाखों प्रणाम, तुमको क्रोड़ों प्रणाम
तू वस्तु-स्वरूप बतावे, अरु सकल विरोध मिटावे ।
हे स्याद्वाद विख्याता! तुमको लाखों प्रणाम, तु्मको..
तू करे ज्ञान का मण्डन, मिथ्यात कुमारग खण्डन ।
हे तीन जगत की माता तुमको लाखों प्रणाम, तुमको..
तू लोकालोक प्रकाशे, चर-अचर पदार्थ विकाशे ।
हे विश्वतत्त्व की ज्ञाता! तुमको लाखों प्रणाम, तुमको..
शुद्धातम तत्त्व दिखावे, रत्नत्रय पथ प्रकटावे ।
निज आनन्द अमृतदाता! तुमको लाखों प्रणाम,तुमको..
हे मात! कृपा अब कीजे, परभाव सकल हर लीजे ।
शिवराम सदा गुण गाता तुमको लाखों प्रणाम, तुमको.